Maharashtra: सरकार गठन में क्यों हुई देरी? CM पद की शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने दिया जवाब
लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा और उसके सहयोगी दलों एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना एवं अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। वहीं सिर्फ छह माह बाद हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मिली भारी जीत भाजपा शिवसेना राकांपा एवं कुछ अन्य छोटे दलों को मिलाकर बनी महायुति के लिए उत्साहवर्धक है।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में नई महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह महायुति के साथ-साथ केंद्र में भी सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भव्य शक्ति प्रदर्शन का माध्यम बना।
जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ मंच पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू सहित राजग शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने अपने दो उपमुख्यमंत्रियों एकनाथ शिंदे एवं अजीत पवार के साथ शपथ ली। समारोह में मुंबई के सिने जगत एवं देश के उद्योग जगत की सभी प्रमुख हस्तियां भी उपस्थित रहीं।
विधानसभा चुनाव में महायुति का जबरदस्त पलटवार
लोकसभा चुनावों में जहां भाजपा और उसके सहयोगी दलों, एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना एवं अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। वहीं सिर्फ छह माह बाद हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मिली भारी जीत भाजपा, शिवसेना, राकांपा एवं कुछ अन्य छोटे दलों को मिलाकर बनी महायुति के लिए उत्साहवर्धक है।
15वीं महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटों में से महायुति के पास 235 सीटें प्राप्त हुई हैं। इस चुनाव में भाजपा को 132, शिवसेना को 57 और राकांपा को 41 सीटें मिली हैं। भाजपा को छोटे दलों एवं एक निर्दलीय मिलाकर पांच विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है।
मंच पर मौजूद थे करीब एक दर्जन केंद्रीय मंत्री
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आंकड़ों के हिसाब से भाजपा 145 के जादुई आंकड़े के काफी करीब है। इसके बावजूद भाजपा ने शिवसेना और राकांपा को पूरा सम्मान देते हुए भाजपा ने यह सुनिश्चित किया है कि जहां भी भाजपा सत्ता में है, वहां के मुख्यमंत्रियों एवं उपमुख्यमंत्रियों के रूप में वहां का प्रतिनिधित्व मंच पर नजर आए। शपथ ग्रहण के मंच पर करीब एक दर्जन वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री भी मौजूद थे।
जहां तक गठबंधन की राजनीति का सवाल है, महाराष्ट्र उन राज्यों में से एक है जहां भाजपा करीब 30 साल से गठबंधन की राजनीति कर रही है। 2019 में जब अविभाजित शिवसेना का नेतृत्व करने वाले उद्धव ठाकरे ने भाजपा के साथ तीन दशक पुराना गठबंधन तोड़ा, तो यह भाजपा के लिए बड़ा झटका था। लेकिन ढाई साल बाद ही शिवसेना के दो तिहाई से अधिक विधायकों ने भाजपा के साथ सरकार बनाकर पुराने गठबंधन को ही आगे बढ़ाने का फैसला किया।
अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में उसी शिवसेना का गठबंधन एक और नई साथी राकांपा के साथ पुनः सरकार में आ चुकी है, और गठबंधन राजनीति के एक नए युग की शुरुआत करते हुए भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने ऐतिहासिक आजाद मैदान में महाराष्ट्र के 31वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है।
सरकार बनने में नहीं हुई देरी
महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे आने के लगभग एक पखवाड़े बाद सरकार का गठन हो सका है। लेकिन शपथ ग्रहण के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताते हुए कहा कि गठबंधन सरकार बनने में इतना समय लगना स्वाभिक होता है। राज्य में पहले भी गठबंधन सरकारें बनते समय इससे अधिक समय लग चुका है।
#WATCH | Mumbai: Maharashtra CM Devendra Fadnavis says, "I don't believe that there is any such delay (in forming the goverment). Even before this, in 2004, there was a delay of about 12-13 days. In 2009, there was a delay of about 9 days. We will have to understand that when… pic.twitter.com/S9w5vmSzcO
— ANI (@ANI) December 5, 2024
फडणवीस (54) के लिए यह मुख्यमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल है। उनके साथ शिवसेना अध्यक्ष एकनाथ शिंदे (60) और राकांपा अध्यक्ष अजित पवार (65) ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। कहा जा रहा है कि शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का फैसला शपथ ग्रहण समारोह से सिर्फ दो घंटे पहले लिया।
वहीं, शपथ लेने के बाद उन्होंने स्वयं स्पष्टीकरण दिया है कि वह किसी बात को लेकर नाराज नहीं हैं। पहले हमारे लिए ‘सीएम’ के मायने कॉमन मैन था, अब ‘डीसीएम’ के मायने डेडिकेटेड टु कॉमन मैन (आम आदमी के लिए समर्पित) होगा। बता दें कि शिवसेना विधायकों ने भी शिंदे पर सरकार की स्थिरता के लिए उपमुख्यमंत्री पद संभालने का दबाव बनाया था।
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