Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में हलचल, उद्धव-कांग्रेस को रास नहीं आ रहा मनसे-भाजपा का गठजोड़!
मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे की मुलाकात ने शिवसेना (यूबीटी) एवं कांग्रेस को असहज कर दिया है। इन दोनों दलों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। राज ठाकरे से महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं की मेल मुलाकात लंबे समय से होती आ रही है। बीच-बीच में राज ठाकरे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से भी मिलते रहे हैं।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे की मुलाकात ने शिवसेना (यूबीटी) एवं कांग्रेस को असहज कर दिया है। इन दोनों दलों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। राज ठाकरे से महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं की मेल मुलाकात लंबे समय से होती आ रही है।
BJP को क्यों चाहिए राज ठाकरे?
बीच-बीच में राज ठाकरे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से भी मिलते रहे हैं। लेकिन अब तक यह तय नहीं हो पा रहा था कि राज ठाकरे की आगामी लोकसभा चुनाव में क्या भूमिका होगी, या वह किधर जाएंगे। कुछ ही दिनों पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी यह कहकर असमंजस बढ़ा दिया था कि राज ठाकरे से बात तो हो रही है, हम कई मुद्दों पर एकमत भी हैं, लेकिन अभी ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ वाली स्थिति नहीं आ सकी है।
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BJP को राज और राज को BJP की जरूरत
इस बीच, राज ठाकरे ने भी पिछले सप्ताह नासिक में हुए अपने स्थापना दिवस समारोह में यह कहकर अपने कार्यकर्ताओं को भी निराश ही किया था कि राजनीति में धैर्य रखने की जरूरत होती है। अभी आप भी धीरज रखिए। लेकिन एक-दो दिन के अंदर ही भाजपा और मनसे के बीच बने समीकरणों का ही परिणाम है कि आज राज ठाकरे अपने पुत्र अमित ठाकरे के साथ दिल्ली पहुंच गए।
वहां पहले उनकी मुलाकात महासचिव विनोद तावड़े से हुई। फिर वह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। दोनों नेताओं की इस मुलाकात ने महाराष्ट्र के विपक्षी दलों को असहज कर दिया है। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि राज ठाकरे के महायुति (महागठबंधन) में शामिल होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मुंबई और महाराष्ट्र के लोग स्मार्ट हैं। हमारे वोट बांटने के लिए शाह कितनी भी योजनाएं बना लें, महाराष्ट्र की जनता इन योजनाओं को हरा देगी। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दूसरा विपक्षी दल कांग्रेस को भी मनसे-भाजपा गठजोड़ रास नहीं आ रहा है। उसके प्रवक्ता अतुल लोंढे ने इसे उत्तर भारतीयों से जोड़कर भाजपा से सवाल किया है कि राज ठाकरे से गठबंधन करके भाजपा उत्तर भारतीयों का वोट कैसे मांगेगी।
लोंढे के अनुसार, यह गठबंधन एक तरह से उत्तर भारतीयों के जख्मों पर नमक रगड़ने जैसा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रत्नेश सिंह ने कहा कि भाजपा का असल चेहरा अब सामने आ गया है। अब तक वह उत्तर भारतीयों की नाराजगी के डर से छुपकर मदद करती थी। अब उसने खुलकर राज ठाकरे को साथ ले लिया है।
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क्या राज ठाकरे को 'पवार' पर यकीन नहीं?
बता दें कि राज ठाकरे की अमित शाह से मुलाकात से पहले राकांपा (एनसीपी) की नेता सुप्रिया सुले उन्हें महाविकास आघाड़ी में आने का प्रस्ताव भी दे चुकी थीं। लेकिन राज ठाकरे की ओर से इस प्रस्ताव पर कोई उत्तर नहीं दिया गया। ऐसे में राज ठाकरे और भाजपा का करीब आना दोनों के लिए फायदे का सौदा माना जा रहा है।
राज ठाकरे ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था। लेकिन 2019 में उन्होंने अपनी पार्टी को चुनाव न लड़ाते हुए भी भाजपा के विरुद्ध घूम-घूमकर कई रैलियां की थीं। भाजपा नहीं चाहती थी कि इस बार राज ठाकरे वही रुख दोहराएं। चूंकि वह अच्छे वक्ता हैं। इसलिए उनके महायुति के मंच पर आने से भाजपा को लाभ ही होगा।
वास्तव में यह गठबंधन लोकसभा या विधानसभा से ज्यादा मुंबई महानगरपालिका चुनाव भाजपा को ज्यादा लाभ पहुंचाएगा। करीब 25 साल से मुंबई मनपा में जमी शिवसेना (अविभाजित) को इस बार भाजपा वहां से उखाड़ना चाहती है। दूसरी ओर राज ठाकरे भी अपनी पार्टी के गिरते ग्राफ को रोकने के लिए भाजपा का सहारा चाहते थे।