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Maharashtra Politics: 'महायुति' के बीच सीट बंटवारे का मामला 80 प्रतिशत सुलझा, फडणवीस ने कहा - मनसे का रुख BJP से अलग नहीं

लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ गठबंधन के बारे में निर्णय सही समय पर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मनसे का रुख भाजपा से अलग नहीं है। हम क्षेत्रीय गौरव में विश्वास करते हैं। मनसे ने मराठी मानुष के अलावा हिंदुत्व के बारे में भी बात की है।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Published: Sat, 09 Mar 2024 10:00 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2024 10:00 PM (IST)
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मनसे का रुख भाजपा से अलग नहीं है।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ गठबंधन के बारे में निर्णय सही समय पर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मनसे का रुख, भाजपा से अलग नहीं है। हम क्षेत्रीय गौरव में विश्वास करते हैं। मनसे ने मराठी मानुष के अलावा हिंदुत्व के बारे में भी बात की है। इसलिए, मनसे और भाजपा के रुख में ज्यादा अंतर नहीं है।

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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आगामी चुनावों में मनसे के साथ गठबंधन के बारे में अभी कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। यह चर्चा के बाद और उचित समय पर ही होगा।फडणवीस ने कहा कि महायुति (भाजपा, शिवसेना शिंदे एवं राकांपा अजीत गुट का गठबंधन) के बीच सीट बंटवारे का मसला 80 प्रतिशत सुलझ गया है। बाकी बचे मसले भी जल्द सुलझा लिए जाएंगे।

भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट एवं राकांपा अजीत गुट के गठबंधन के बीच सीट बंटवारे का मसला सुलझाने के लिए शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ देवेंद्र फडणवीस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के बीच करीब ढाई घंटे बैठक चली। इसके बावजूद तीनों दलों में सीट बंटवारे का मसला पूरी तरह सुलझाया नहीं जा सका। नागपुर में पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए फडणवीस ने कहा कि जल्द ही सभी सीटों का मसला सुलझा कर यह महायुति मजबूती के साथ चुनाव में उतरेगी।

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भाजपा शिवसेना और राकांपा को जीत की मेरिट के आधार पर देना चाहती है सीटें भाजपा अपने दोनों साथी दलों शिवसेना एवं राकांपा को जीत की मेरिट के आधार पर सीटें देना चाहती है। यह बात पिछले दिनों अमित शाह अपनी महाराष्ट्र यात्रा के दौरान भी एकनाथ शिंदे एवं अजीत पवार को बता चुके हैं।

2019 के चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन कर लड़ते हुए शिवसेना 23 सीटों पर लड़कर 18 सीटें जीती थी। अब शिवसेना से टूटकर अलग हुए शिवसेना शिंदे गुट ने भी 22 सीटों पर लड़ने की मंसा जताई है। 2019 में भाजपा के विपक्ष में रही राकांपा भी 10 सीटें चाहती है। लेकिन भाजपा चाहती है कि सीटों की बंटवारा इस प्रकार हो कि जिसके पास जो भी सीट जाए, उसकी जीतने की संभावना सर्वाधिक हो।

शिंदे गुट के कुछ लोग भाजपा के चुनाव चिह्न पर भी लड़ सकते हैं चुनाव भाजपा के साथी दलों, खासकर शिंदे गुट में मुख्यमंत्री शिंदे पर आंतरिक दबाव भी है, क्योंकि शिवसेना में विभाजन के बाद उनके साथ शिवसेना के 18 में से 13 सांसद आ गए थे। इनमें से कोई भी अपनी सीट छोड़ना नहीं चाहता। इसलिए संभव है कि शिंदे गुट के कुछ सांसद भाजपा के चुनाव चिह्न कमल पर भी चुनाव लड़ें। इस प्रकार का दबाव अजीत गुट पर कम है, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में राकांपा शरद पवार के नेतृत्व में कुल चार सीटें जीती थी। उनमें तीन आज भी शरद पवार के साथ हैं। सिर्फ एक सदस्य सुनील तटकरे ही अजीत पवार के साथ आए हैं। इसके बावजूद अजीत गुट ने शिंदे गुट के बराबर ही सीटों की मांग की है।

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सीटों के बंटवारे को लेकर तीनों दलों के नेताओं में बयानबाजी तेजसीटों के बंटवारे को लेकर तीनों दलों के नेताओं में बयानबाजियां भी हो रही हैं। हाल ही में शिंदे गुट के एक नेता रामदास कदम के बयान पर देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा ने अपने पास 115 विधायक होने के बावजूद एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया है।

इसके जवाब में शिंदे गुट के प्रवक्ता विधायक संजय शिरसाट ने कहा कि यदि हमने शिवसेना से बगावत न की होती, तो आप 115 विधायक लेकर भी आज विपक्ष में ही बैठे होते। महायुति में अब तक सीटों का बंटवारा न हो पाने पर शिवसेना (यूबीटी) की ओर से भी शिंदे गुट को चिढ़ाने का प्रयास जारी है। उसके प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि भाजपा द्वारा ¨शदे गुट को सिर्फ पांच सीटें और अजीत पवार को सिर्फ एक या दो सीटें देकर टरका दिया जाएगा।

राजनीति में धीरज रखना जरूरी: राज ठाकरे

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के 18वें स्थापना दिवस पर पार्टी कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए कहा कि राजनीति में धीरज रखना जरूरी होता है। धैर्य रखने से ही कुछ प्राप्त हो सकता है।

उन्होंने नासिक में जनसंघ और भाजपा का उदाहरण देते हुए अपने कार्यकर्ताओं को धीरज का पाठ पढ़ाया। दीर्घ काल तक उसके कार्यकर्ताओं ने तपस्या की, तब आज नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन सके हैं। कहा कि हमें एक बार सत्ता देकर देखिए, एक दिन में सारे लाउडस्पीकर बंद हो जाएंगे।


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