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    महाराष्ट्र में लगातार घट रही मराठी मीडियम के विद्यालयों की संख्या, स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर राजनीतिक तूफान

    Updated: Fri, 18 Apr 2025 10:27 PM (IST)

    महाराष्ट्र में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी पढ़ाना अनिवार्य करने के फैसले पर विवाद गहराया। मनसे और कांग्रेस ने विरोध जताया जबकि शिवसेना के शासन में भी मराठी माध्यम के स्कूल बंद हुए। मुंबई में बीएमसी के 106 मराठी स्कूल बंद हुए जबकि हिंदी और अंग्रेजी स्कूल बढ़े। अजीत पवार ने विरोध को अनावश्यक बताया मराठी को प्राथमिकता देने की बात कही।

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    मनसे और कांग्रेस ने हिंदी अनिवार्य करने का विरोध किया। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में कक्षा एक से पांच तक हिंदी पढ़ाना अनिवार्य किए जाने को लेकर कई राजनीतिक दल तीखे तेवर दिखा रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि राज्य में अभिभावक भी अपने बच्चों को मराठी माध्यम से शिक्षा दिलवाने को लेकर उदासीन हैं और पूरे राज्य में मराठी माध्यम के विद्यालयों की संख्या लगातार घटती जा रही है।

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    तीन दिन पहले ही राज्य सरकार ने कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों को हिंदी पढ़ाना अनिवार्य किया, तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और कांग्रेस ने सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे डाली है। मनसे और शिवसेना जैसे दल अपने स्थापना काल से ही शिक्षा और नौकरियों में मराठीभाषियों को प्राथमिकता देने के आग्रही रहे हैं।

    लेकिन मुंबई महानगरपालिका में पिछले करीब 30 वर्षों से शिवसेना का कब्जा होने के बावजूद मुंबई के मनपा संचालित विद्यालयों में भी मराठी माध्यम के विद्यालयों की संख्या लगातार घटी है और हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों की संख्या बढ़ी है। सिर्फ मुंबई महानगर में पिछले 10 वर्षों में बीएमसी संचालित मराठी माध्यम के 106 विद्यालय बंद हो गए हैं। इसके विपरीत हिंदी माध्यम के 30, अंग्रेजी माध्यम के 58, यहां तक कि उर्दू माध्यम के भी पांच विद्यालय बढ़े हैं।

    मराठी की प्रबल पैरोकार रही शिवसेना

    पिछले तीन वर्षों को छोड़ दिया जाए, तो बाकी वर्षों में मराठी की प्रबल पैरोकार रही शिवसेना ही उस बीएमसी पर शासन करती रही है, जो इन विद्यालयों को संचालित करती है। इसी प्रकार त्रिभाषा फार्मूला के तहत फडणवीस सरकार द्वारा कक्षा पांच तक हिंदी पढ़ना अनिवार्य किए जाने का विरोध कर रही कांग्रेस भी पिछले 25 वर्षों में ज्यादातर समय महाराष्ट्र की सत्ता में रही है।

    1999 से 2014 तक तो कांग्रेस का ही मुख्यमंत्री रहा है और 2019 से 2021 तक वह शिवसेना और राकांपा के साथ सत्ता में रही है। इसके बावजूद मुंबई के बाहर शेष महाराष्ट्र में भी मराठी माध्यम के विद्यालयों को बंद होने से वह रोक नहीं पाई।

    हिंदी को लेकर मनसे की छात्र शाखा ने किया प्रर्दशन

    पीटीआई के अनुसार, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की छात्र शाखा के कार्यकर्ताओं ने नवी मुंबई में राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। सरकार ने कक्षा एक से पांच तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाया गया है। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने वाशी में प्रदर्शन स्थल पर बैनर और तख्तियां लहराईं और सरकारी प्रस्ताव की प्रतियां जलाईं।

    उन्होंने राज्य प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए। वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने भाजपा पर हिंदी थोपकर क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृति को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

    अजीत पवार ने स्कूलों में हिंदी के विरोध की निंदा कीउपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने राज्य में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के कदम का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों की आलोचना की है।

    उन्होंने कहा कि इस फैसले का विरोध करने वाले लोग वास्तविक मुद्दों की कमी के कारण अनावश्यक विवाद खड़ा कर रहे हैं। पिंपरी चिंचवाड़ में उन्होंने कहा कि मराठी हमारी मातृभाषा है और राज्य में हमेशा इसे पहली प्राथमिकता दी जाएगी।

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