भारत-बांग्लादेश के बीच सबकुछ ठीक नहीं, ट्रेड वॉर के बाद तल्ख हुए रिश्ते; किसका हो रहा अधिक नुकसान?
जून 2024 में ही भारत व बांग्लादेश के बीच शीर्ष स्तर पर यह सहमति बनी थी कि दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) किया जाएगा और इसके लिए शीघ्र वॉर्ता की शुरुआत होगी। लेकिन अगस्त 2024 में पूर्व पीएम शेख हसीना की सरकार को सत्ता से हटाने के बाद इस पर कोई बात नहीं हुई है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। एक ट्रेड वॉर तो अमेरिका और चीन के बीच चल रहा है लेकिन इसके साथ ही दक्षिण एशिया में भी एक छोटा सा ट्रेड वॉर दो पड़ोसी देशों के बीच चल रहा है। ये देश हैं भारत और बांग्लादेश।
पिछले दिनों भारत ने अपने एयरपोर्ट और बंदरगाहों से बांग्लादेशी सामानों के निर्यात की दी गई सुविधा खत्म कर दी थी। इससे दोनों देशों के तनावपूर्ण रिश्तों में और तनाव घुल गया है। लेकिन भारत ने यह कदम मनमाने तरीके से नहीं उठाया बल्कि बांग्लादेश की तरफ भारत के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए उठाए गए तीन कदमों के बाद उठाया।
बांग्लादेश को लगेगा बड़ा झटका
बांग्लादेश ना सिर्फ चीन की कंपनियों को भारत से जुड़ी सीमा पर आर्थिक क्षेत्र बनाने के लिए आमंत्रित कर रहा है बल्कि भारतीय आयात को प्रभावित करने के लिए कदम उठा रहा है। मोहम्मद युनुस की सरकार की तरफ से उठाए जाने वाले इन कदमों से बांग्लादेश को ही ज्यादा आर्थिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।
तीन लैंड पोर्ट्स को बंद करने का फैसला
बांग्लादेश ने पहले भारत से सटी बीनापोल सीमा पर आयातित वस्तुओं को लेकर कई तरह के प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। साथ ही भारत-बांग्लादेश सीमा पर सटे स्थलों पर स्थापित तीन लैंड पोर्ट्स को बंद करने का फैसला किया है। इसके अलावा एक कदम यह उठाया गया है कि जमीनी मार्ग से भारतीय यार्न के आयात को बंद कर दिया गया है।
युनुस सरकार भारत विरोधी भावनाओं से ग्रसित
यह कदम तब उठाया गया है जब अमेरिका ने बांग्लादेश से आने वाले आयात पर 37 फीसद का टैक्स लगाने की घोषणा की थी। बांग्लादेश की इकोनमी में कपड़ा उद्योग की बेहद ज्यादा अहमियत के बावजूद वहां की सरकार भारत से सस्ते यार्न के आयात को रोक कर अमेरिकी सरकार से वादा कर रही है कि वह वहां से यार्न की खरीद करेगी। यह बताता है कि युनुस सरकार किस हद तक भारत विरोधी भावनाओं से ग्रसित है।
कैसे बिगड़े भारत-बांगलादेश के संबंध?
उल्लेखनीय है कि अंतरिम सरकार के मुखिया प्रोफेसर युनुस ने चीन में ना सिर्फ वहां की कंपनियों को भारतीय सीमा के पास स्थित चट्टोग्राम के पास विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने के लिए आमंत्रित किया बल्कि संकेत में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के पास समुद्री मार्ग नहीं होने की तरफ भी इशारा किया। यह बात भारत को काफी नागवॉर गुजरी थी। पीएम नरेन्द्र मोदी ने प्रोफेसर युनुस के साथ थाइलैंड में बिम्सटेक संगठन की बैठक के दौरान इसकी तरफ इशारा किया था।
ठंडे बस्ते में कई परियोजनाएं
बांग्लादेश के इस रूख ने भारत के साथ आर्थिक संबंधों को नये आयाम देने की पिछले एक दशक से चल रही कोशिशों पर पानी फेर दिया है। भारत ने वैसे अपनी जमीन से भूटान और नेपाल को होने वाले बांग्लादेशी निर्यात पर कोई रोक नहीं लगाई है लेकिन बांग्लादेशी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जिन परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा था, वह लंबे समय तक के लिए ठंडे बस्ते में चली गई हैं।
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