अब महाराष्ट्र के स्कूलों में सिखाई जाएगी हिंदी, सरकार ने अनिवार्य तीसरी भाषा बनाया; कांग्रेस बोली- थोपना सही नहीं
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य ने पहले ही एनईपी लागू कर दिया है। उन्होंने कहा कि मराठी को पहले ही अनिवार्य कर दिया गया है। अब कक्षा I-V तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाया है। सीएम ने कहा कि हिंदी भी सीखनी चाहिए क्योंकि यह पूरे देश में संचार का एक साधन है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि यह कदम मराठी अस्मिता के खिलाफ है।
पीटीआई, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा I-V तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बना दिया है।
वर्तमान में इन स्कूलों में कक्षा 1 से 4 तक केवल मराठी और अंग्रेजी को अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाया जा रहा है। गुरुवार को जारी एक सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, अगले शैक्षणिक वर्ष से कक्षा 1 से 5 तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य होगी। एनईपी के अनुसार नया पाठ्यक्रम कक्षा 1 के लिए 2025-26 में लागू किया जाएगा।
कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना
- जीआर में कहा गया है कि कक्षा 2, 3, 4 और 6 के लिए नीति 2026-27 में, कक्षा 5, 9 और 11 के लिए 2027-28 से और कक्षा 8, 10 और 12 के लिए 2028-29 से लागू की जाएगी। मराठी और अंग्रेजी माध्यम को छोड़कर राज्य के सभी स्कूल वर्तमान में त्रि-भाषा फॉर्मूले का पालन कर रहे हैं।
- जीआर ने कहा कि ऐसे स्कूलों में माध्यम की भाषा अंग्रेजी और मराठी पढ़ाई जाएगी। छठी से दसवीं कक्षा के लिए भाषा नीति राज्य पाठ्यक्रम के अनुसार होगी। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, 'अगर हिंदी वैकल्पिक भाषा होती तो हमें कोई समस्या नहीं होती। लेकिन इसे अनिवार्य बनाना इसे थोपने जैसा है।'
- उन्होंने कहा कि मराठी भावनाओं को ठेस पहुंचाना गलत है। क्या हम मध्य प्रदेश और यूपी में मराठी को तीसरी भाषा के रूप में मांग सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यों का निर्माण भाषाई पुनर्गठन से हुआ है। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और हिंदी को वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए।
राज ठाकरे ने दी चेतावनी
राज्य सरकार का यह निर्णय राज ठाकरे को बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर चेतावनी दी है कि राज्य सरकार का यह निर्णय महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। राज ठाकरे ने आगे लिखा है कि केंद्र सरकार जो हर जगह हिंदीकरण करने का प्रयास कर रही है, उसे हम इस राज्य में सफल नहीं होने देंगे। हिंदी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। वह भी देश की अन्य भाषाओं की भांति ही एक भाषा है।
ठाकरे ने कहा कि उसे महाराष्ट्र में पहली कक्षा से पढ़ाने की क्या जरूरत है ? आप अपना त्रिभाषा फार्मूला सरकारी कामकाज तक ही सीमित रखिए। उसे शिक्षा में मत लाइए। इस देश में भाषा के आधार ही राज्यों का गठन किया गया है, और वह इतने वर्षों से चला आ रहा है। अब महाराष्ट्र पर दूसरे राज्य की भाषा लादने का प्रयास क्यों किया जा रहा है?
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