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    तमिल-मराठी विवाद के बीच असम में अनिवार्य हुई असमिया भाषा, लेकिन इन जिलों को छूट

    असम के सीएम हिमंता विस्वा सरमा ने एक बड़ा फैसला लिया है। असम में अब सरकारी कामों के लिए केवल असमिया भाषा का प्रयोग किया जा सकेगा। हालांकि राज्य के तीन जिलों को इसमें छूट दी गई है। असम के सीएम सरमा ने इस बात की जानकारी एक एक्स पोस्ट में दी। राज्य में ये नया कानून 15 अप्रैल असमिया नववर्ष बोहाग से लागू होगा।

    By Jagran News Edited By: Abhinav Tripathi Updated: Tue, 15 Apr 2025 07:50 PM (IST)
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    असम में सभी सरकारी कार्यों के लिए असमिया भाषा अनिवार्य। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, गुवाहाटी। असम में बराक घाटी के तीन जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के पांच जिलों को छोड़कर पूरे राज्य में सभी आधिकारिक कार्यों में असमिया भाषा का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से किया जाएगा।

    15 अप्रैल असमिया नववर्ष 'बोहाग' से यह नियम लागू होगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि 'बोहाग' से असमिया पूरे असम में सभी सरकारी अधिसूचनाओं, आदेशों, अधिनियमों आदि के लिए अनिवार्य आधिकारिक भाषा होगी। बराक घाटी और बीटीआरआर जिलों में क्रमश: बंगाली और बोडो भाषाओं का उपयोग किया जाएगा।

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    सरकार कार्यालयों में असमिया भाषा अनिवार्य

    आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, सभी सरकारी अधिसूचनाएं, कार्यालय ज्ञापन, अधिनियम, नियम, विनियम, योजना दिशानिर्देश, स्थानांतरण और पो¨स्टग आदेश अंग्रेजी और असमिया दोनों में जारी किए जाएंगे।

    जारी की गई अधिसूचना

    राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह और राजनीतिक विभाग) अजय तिवारी की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बराक घाटी के कछार, हैलाकांडी और श्रीभूमि जिलों में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बांग्ला भाषा का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

    इसी तरह, बीटीआर के तहत कोकराझार, चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और तामुलपुर में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बोडो भाषा का भी उपयोग किया जाएगा।

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