Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Maharashtra Politics: एकनाथ शिंदे अपने समर्थक विधायकों के साथ फिर जा सकते हैं गुवाहाटी

    By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar Mishra
    Updated: Tue, 15 Nov 2022 07:59 PM (IST)

    Maharashtra Politics एकनाथ शिंदे फिर समर्थक विधायकों के साथ गुवाहाटी जा सकते हैं। शिंदे समर्थक निर्दलीय विधायक बच्चू कड़ू ने कहा कि एकनाथ सहित सभी विधायकों ने यह मन्नत मानी थी कि उनकी सरकार बनी तो वे सभी पुन मां कामाख्या के दर्शन करने आएंगे।

    Hero Image
    एकनाथ शिदे अपने समर्थक विधायकों के साथ फिर जा सकते हैं गुवाहाटी। फाइल फोटो

    मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) फिर अपने समर्थक विधायकों के साथ गुवाहाटी जा सकते हैं, लेकिन इस बार उनकी यात्रा राजनीतिक नहीं, विशुद्ध रूप से धार्मिक होगी। एकनाथ शिंदे समर्थक निर्दलीय विधायक बच्चू कड़ू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 21 नवंबर को मुख्यमंत्री शिंदे अपने समर्थक उन सभी विधायकों के साथ गुवाहाटी जाने की योजना बना रहे हैं, जो इस वर्ष जून के महीने में उनके साथ गुवाहाटी में रुके थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मां कामाख्या के करेंगे दर्शन

    बच्चू कड़ू के अनुसार, उस समय भी एकनाथ शिंदे गुवाहाटी स्थित शक्तिपीठ मां कामाख्या देवी मंदिर में दर्शन करने गए थे। वहां एकनाथ शिंदे सहित सभी विधायकों ने यह मन्नत मानी थी कि उनकी सरकार बनी तो वे सभी पुन: मां कामाख्या के दर्शन करने आएंगे। चूंकि, अब न सिर्फ राज्य में सत्ता परिवर्तन हो चुका है, बल्कि स्वयं एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री भी बन चुके हैं। इसलिए, अब वह अपने समर्थक सभी विधायकों के साथ फिर मां कामाख्या के दर्शन की योजना बना रहे हैं।  

    उद्धव ठाकरे की याचिका खारिज

    शिवसेना नाम या प्रतीक धनुष और तीर का उपयोग नहीं करने के निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया। हालांकि, न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि शिवसेना के दो धड़ों और आम जनता के हित में होगा कि शिवसेना के धनुष व तीर के प्रतीक और नाम के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग की कार्यवाही जल्द ही समाप्त हो जाए। ऐसे में आयोग को मामले पर जल्द से जल्द अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया है। सोमवार को उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह पार्टी के अध्यक्ष हैं और पिछले 30 वर्षों से इस पार्टी को चला रहे हैं, लेकिन भारतीय निर्वाचन आयोग के आदेश के कारण वह अपने पिता के नाम और चिह्न का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

    ठाकरे के वकील ने कही थी ये बात

    आयोग के आदेश को अवैध बताते हुए ठाकरे की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा था कि इस आदेश के कारण पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां रुक गई हैं। एकनाथ शिंदे गुट का कहना था कि ऐसे तर्क सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी दिए गए थे, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी आयोग की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। आयोग ने आठ अक्टूबर को ठाकरे व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के दोनों धड़ों को आधिकारिक मान्यता पर अंतिम निर्णय आने तक शिवसेना नाम या प्रतीक का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया था। हाल ही में हुए अंधेरी ईस्ट उपचुनाव के लिए दोनों पार्टी गुटों को अलग-अलग सिंबल आवंटित किए गए थे। 

    यह भी पढ़ेंः अजीत पवार को राहुल गांधी की शेगांव रैली का नहीं मिला निमंत्रण, कहा-जिन्हें मिला है वो जाएं