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Navratri 2022, 3rd day: साहसी और नीडर बनाती है मां चंद्रघंटा, नवरात्र के तीसरे दिन होता युद्ध की देवी का पूजन

3rd day of Navratri नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है। मान्‍यता है कि इनकी पूजा करने वाले भक्‍त साहसी बनते है। मां के इस रूप को युद्ध की देवी माना गया है। शत्रुओं पर विजय चाहते हैं तो मां चंद्रघंटा की आराधना करनी चाहिए।

By Babita KashyapEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2022 07:56 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 08:12 AM (IST)
Navratri 2022, 3rd day: साहसी और नीडर बनाती है मां चंद्रघंटा, नवरात्र के तीसरे दिन होता युद्ध की देवी का पूजन
Maa Chandraghanta Puja: नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के अलग -अलग रूपों को पूजा जाता है।

मुंबई, जागरण आनलाइन डेस्‍क। Navratri 2022: नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के अलग -अलग रूपों को पूजा जाता है। मां के इन रूपों का अलग विशेष महत्‍व होता है।आज नवरात्र का तीसरा दिन है इस दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है।

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युद्ध की देवी मां चंद्रघंटा 

मां के इस रूप को युद्ध की देवी माना गया है। इसके पीछे कारण ये है कि ये मां युद्ध मुद्रा में होती है। ऐसी मान्‍यता है कि दुर्गा मां ने दैत्‍यों का विनाश करने के लिए ये अवतार लिया था, जो भक्‍त चंद्रघंटा मां (Maa Chandraghanta) की पूजा करता है उसके जीवन में नीडरता आती है वह साहसी बनता है।

अगर आप अपने शत्रुओं पर विजय पाना चाहते हैं तो मां चंद्रघंटा की आराधना करनी चाहिए। जो भक्‍त सच्‍चे मन से मां के इस रूप की आराधना करता है उसे जीवन में कभी निराशा का मुंह नहीं देखना पड़ता साथ ही उसकी आध्‍यात्मिक शक्ति भी बढ़ती है और समस्‍त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

भक्‍तों को बनाती हैं पराक्रमी व निडर 

मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है इसलिए उनकी उपासना करने वाले भक्‍त पराक्रमी और निडर हो जाते हैं। उनकी घंटी की आवाज हमेशा उनके भक्तों को बुरी आत्माओं से बचाती है। दुष्टों को नाश के लिए हमेशा तैयार रहने के बावजूद, उनका दिव्य रूप महान नम्रता और शांति से भरा है।

माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। इसलिए उन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। माता के चार हाथों में कमल का फूल, धनुष, जप माला और बाण विराजमान हैं। पांचवां हाथ अभय मुद्रा में है। मां के पांचवें हाथ की वरद मुद्रा भक्तों के लिए लाभकारी और सुखद होती है।

मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व

ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने वाले साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। चाहे आपको किसी भी प्रकार के शत्रु का भय हो या फिर कुंडली में ग्रह दोष की समस्या हो, माता चंद्रघंटा की कृपा से ये सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

मां जातक के मन से हर तरह के डर को दूर कर आत्मविश्वास का संचार करती है। मां चंद्रघंटा की आराधना करने वाले साधक के चेहरे पर एक अलग ही चमक होती है। देवी मां की कृपा से व्यक्ति को सुंदर, स्वस्थ शरीर प्राप्त होता है।

पूजा की विधि

प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा कक्ष में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। माता रानी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, सुगंध, धूप-दीप, फूल, फल, नैवेद्य आदि अर्पित करें। दुर्गा चालीसा का पाठ करें। 'ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः' मंत्र का जाप करें। माता की आरती करें।

मां चंद्रघंटा पूजन मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

पिंडज प्रवरारूढ़ा चंडकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते महयं चंद्रघंटेति विश्रुता।।

मां चंद्रघंटा की आरती

मां को लगाएं खीर का भोग

मां चंद्रघंटा को भोग के रूप में दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाए तो सबसे अच्छा है। ऐसा माना जाता है कि मां को दूध और सूखे मेवे की खीर बहुत पसंद होता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को दूध और चावल की खीर खिलाकर दान-पुण्य करने से मां अत्यंत प्रसन्न होती हैं और साधक के सभी दुखों का नाश करती हैं। भोग के रूप में मां चंद्रघंटा को मखाने की खीर का भोग लगाया जाए तो यह बहुत अच्छा होता है।

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