पुणे में 75 वर्षों से तैयार हो रहा है वृहद संस्कृत-अंग्रेजी शब्दकोश, 1948 में हुई थी इस परियोजना की शुरुआत
पिछले 75 वर्षों से वृहद संस्कृत-अंग्रेजी शब्दकोश (Large Sanskrit-English dictionary) पुणे के डेक्कन कालेज पोस्ट ग्रेजुएट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में तैयार किया जा रहा है। 1948 में इस परियोजना की शुरुआत की जिसे बाद में प्रोफेसर ए.एम.घाटगे ने आगे बढ़ाया।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। पुणे के डेक्कन कालेज पोस्ट ग्रेजुएट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (Deccan College Post Graduate and Research Institute, Pune) में पिछले 75 वर्षों से वृहद संस्कृत-अंग्रेजी शब्दकोश (Large Sanskrit-English dictionary) तैयार हो रहा है। पूरा तैयार होने पर यह शब्दकोश करीब 20 लाख शब्दों का होगा, जोकि किसी भी भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोश होगा।
1948 में हई इस परियोजना की शुरुआत
डेक्कन कालेज के प्रो वाइस चांसलर एवं इस परियोजना के जनरल एडीटर प्रोफेसर प्रसाद जोशी बताते हैं कि इस परियोजना का विचार आजादी के तुरंत बाद भाषाविद एवं संस्कृत के प्रोफेसर एस.एम.कत्रे के मन में आया।
वह उस समय डेक्कन कालेज स्थित भारत के सबसे पुराने भाषा विज्ञान विभाग में प्रोफेसर थे। उन्होंने ही 1948 में इस परियोजना की शुरुआत की, जिसे बाद में प्रोफेसर ए.एम.घाटगे ने आगे बढ़ाया।
शब्द संकलन के लिए किया गया 1464 ग्रंथों का चयन
संस्कृत शब्दों का संकलन करने के लिए संस्कृत में लिखे चुनिंदा 1464 ग्रंथों का चयन किया गया। इनमें 1400 ईसा पूर्व लिखे गए ऋग्वेद से लेकर 1850 ईसवी में लिखे गए हास्यार्णव ग्रंथ तक शामिल थे। करीब 40 विद्वानों ने
इन ग्रंथों से 1948 से 1973 के बीच वर्ण क्रमानुसार शब्दों का चयन कर उन्हें निर्धारित आकार की पर्चियों पर लिखा जाना शुरू किया। उन्हें शब्दकोश निर्माण की पद्धति का पालन करते हुए एक बड़े कक्ष में रखी धातु की अलमारियों में बने 3,057 ड्रार्स में रखा जाने लगा।
25 वर्ष में एक करोड़ से ज्यादा संदर्भ पर्चियां तैयार हुईं
इस कक्ष को अंग्रेजी में स्क्रिपटोरियम कहा जाता है, जिसे हाल ही में पुणे के विद्यार्थियों एवं विद्वानों के लिए भी खोल दिया गया है। इस प्रकार 25 वर्ष में एक करोड़ से ज्यादा संदर्भ पर्चियां तैयार हुईं। जिनके आधार पर
शब्दकोश का पहला संस्करण 1976 में प्रकाशित किया गया। इसके बाद से अब तक 34 और संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। चूंकि इसमें चयनित हर संस्कृत शब्द के अंग्रेजी में अनुवाद के अलावा उन शब्दों से ऐतिहासिक, भौगोलिक एवं भाषाई संदर्भ भी दिए जाते हैं।
20 लाख से अधिक शब्द होंगे
कुछ संस्कृत शब्दों के तो 20 से ज्यादा अर्थ भी होते हैं। इसलिए यह शब्दकोश ही नहीं, एक विश्वकोश (एनसाइक्लोपीडिया) भी बन गया है। फिलहाल इसका 36वां संस्करण पूरा होने जा रहा है। प्रोफेसर जोशी के अनुसार हर संस्करण में करीब 4000 नए शब्द जुड़ जाते हैं। उनका कहना है कि अंग्रेजी की आक्सफोर्ड
डिक्शनरी तैयार होने में लगभग 100 वर्ष का समय लगा था। इस संस्कृत अंग्रेजी विश्वकोश-शब्दकोश के तैयार होने में अभी कितना समय लगेगा, कहा नहीं जा सकता। लेकिन तैयार होने पर इसमें 20 लाख से अधिक शब्द होंगे।
संस्कृत-अंग्रेजी शब्दकोश-विश्वकोश
प्रोफेसर प्रसाद जोशी कहते हैं कि संस्कृत के शब्दों की जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सके, इसलिए फिलहाल इसे संस्कृत-अंग्रेजी शब्दकोश-विश्वकोश के रूप में तैयार किया जा रहा है। लेकिन पिछले दो वर्षों से इस निर्माणाधीन शब्दकोश के डिजिटलीकरण का काम भी शुरू हो गया है।
हिंदी, मराठी, बंगाली, कन्नड और तमिल में रूपांतरण होगा आसान
एक बार डिजिटल रूप में कंप्यूटर पर आ जाने के बाद इसी शब्दकोश को अन्य भारतीय भाषाओं में भी रूपांतरित करना आसान हो जाएगा। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ.रजनीश शुक्ल भी मानते हैं कि मूलतः संस्कृत-अंग्रेजी में तैयार किए जा रहे इस शब्दकोश का डिजिटलीकरण हो जाने के बाद
संस्कृत से हिंदी, मराठी, बंगाली, कन्नड और तमिल आदि भारतीय भाषाओं में भी इस शब्दकोश-विश्वकोश का रूपांतरण अपेक्षाकृत काफी आसान हो जाएगा। क्योंकि तब एक साथ कई संस्थानों एवं अनेक विद्वानों को इस काम में शामिल किया जा सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।