Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mumbai: पति और ससुराल वालों के खिलाफ झूठे पुलिस मामले दर्ज करना क्रूरता : हाई कोर्ट

    बांबे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने कहा है कि पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठे मामला दर्ज कराना क्रूरता है। हाई कोर्ट ने एक महिला द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। महिला ने याचिका में अपने वैवाहिक अधिकारों को बहाल किए जाने का अनुरोध किया था और कुटुंब अदालत के फरवरी 2023 के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें तलाक की मंजूरी दी गई थी।

    By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Wed, 01 May 2024 01:59 PM (IST)
    Hero Image
    पति और ससुराल वालों के खिलाफ झूठे पुलिस मामले दर्ज करना क्रूरता

    पीटीआई, मुंबई। बांबे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने कहा है कि पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठे मामला दर्ज कराना क्रूरता है। हाई कोर्ट ने एक महिला द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।

    महिला ने याचिका में अपने वैवाहिक अधिकारों को बहाल किए जाने का अनुरोध किया था और कुटुंब अदालत के फरवरी 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें तलाक की मंजूरी दी गई थी। पति ने अपनी पत्नी की क्रूरता और उसके अलग हो जाने के आधार पर तलाक मांगा था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    न्यायमूर्ति वाईजी खोबरागड़े ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून के तहत कार्यवाही शुरू करना और वैवाहिक अधिकारों की बहाली की मांग करना अपने आप में क्रूरता नहीं है।

    उन्होंने कहा कि लेकिन पति, उसके पिता, भाई और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ झूठी, आधारहीन रिपोर्ट दर्ज करना क्रूरता के दायरे में आता है। इस जोड़े की 2004 में शादी हुई थी। 2012 तक वे साथ रहे।

    वहीं, पति ने दावा किया कि 2012 में उसकी पत्नी ने उसे छोड़ दिया और अपने माता-पिता के घर में रहने लगी। बाद में महिला ने अपने पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज कराई।

    पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ कुटुंब अदालत में दायर याचिका में दावा किया कि इन झूठी शिकायतों के कारण उसे और उसके परिवार के सदस्यों को मानसिक क्रूरता का सामना करना पड़ा है।

    पति ने दावा किया था कि उसकी पूर्व पत्नी ने उसके पिता और भाई के खिलाफ छेड़छाड़ करने तक का आरोप लगाया है। बाद में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया गया।

    उसने कहा कि इस पूरे मामले से उसके परिवार के सदस्यों को पोरेशानी हुई और समाज में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। हाई कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही कहा कि तलाक मंजूर करने के निचली अदालत के आदेश में कोई गड़बड़ी नहीं है।

    यह भी पढ़ें- Bomb Threat: देश के कई स्कूलों और एयरपोर्ट को मिली बम से उड़ाने की धमकी, पुलिस हाई अलर्ट पर

    यह भी पढ़ें- Tamil Nadu: करियापट्टी इलाके में पत्थर की खदान में हुआ विस्फोट, हादसे में तीन लोगों की मौत; बचाव अभियान जारी