'CM फडणवीस ने अजित पवार के मंत्रालय में घुसपैठ कर ली', आखिर शरद गुट ने ऐसा क्यों कहा?
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी प्रवीण परदेसी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाए जाने को शरद पवार गुट मुद्दा बनाने में जुट गया है। वह इसे वित्तमंत्री अजीत पवार के अधिकारों में कटौती के रूप में प्रचारित कर रहा है। बता दें कि प्रवीण परदेसी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के चहेते अधिकारियों में से एक रहे हैं। उन्हें कई प्राकृतिक आपदाओं में काम करने का अनुभव है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को प्रवीण परदेसी को अपना मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त करने की घोषणा की है। यही नहीं, उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी प्रदान किया गया है। इससे पहले परदेसी महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट आफ ट्रांसफार्मेशन (मित्रा) की जिम्मेदारी तो संभाल ही रहे थे, उनके पास मुंबई हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी के चेयरमैन एवं बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के अध्यक्ष की भी अतिरिक्त जिम्मेदारियां थी।ॉ
सीएम फडणवीस के पहले कार्यकाल में भी काम कर चुके हैं प्रवीण परदेसी
वह मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस के प्रथम कार्यकाल (2014 से 2019) में उनके साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में भी काम कर चुके हैं। अब उन्हें मुख्यमंत्री का मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किए जाने के बाद विपक्ष, खासतौर से राकांपा (शरदचंद्र पवार) को इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने का मौका मिल गया है। शरद पवार गुट इसे वित्तमंत्री अजीत पवार के अधिकारों में कटौती के रूप में प्रचारित कर रहा है।
सीएम ने अजित पवार के मंत्रालय में घुसपैठ कर ली: शरद गुट
राकांपा (शरदचंद्र पवार) के विधायक एवं शरद पवार के पौत्र रोहित पवार ने अपने एक्स एकाउंट पर एक लंबी पोस्ट में लिखा है कि यह नियुक्ति करके मुख्यमंत्री ने एक तरह से वित्तमंत्री अजित पवार के वित्त मंत्रालय में भी घुसपैठ कर ली है। अब से वित्त मंत्रालय के सभी नीतिगत निर्णय और सभी प्रशासनिक निर्णय वित्तमंत्री के बजाय मुख्य आर्थिक सलाहकार के अधिकार क्षेत्र में आएंगे।
पिछले ढाई साल में लिए गए निर्णयों की समीक्षा के बाद, पहले एकनाथ शिंदे साहब के खातों में घुसपैठ की गई, और अब अजित का नंबर है। रोहित पवार ने आगे लिखा है कि चूंकि वर्तमान मुख्यमंत्री में हमेशा से ही अधिनायकवाद की प्रवृत्ति रही है, इसलिए उन्होंने हर मंत्रालय को अपने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण में रखने पर जोर दिया है, तथा मुख्य आर्थिक सलाहकार की नियुक्ति का निर्णय भी इसी एजेंडे का हिस्सा है।
रोहित पवार ने अपने चाचा अजीत पवार पर तंज कसते हुए लिखा है कि जहां तक सहयोगियों का सवाल है, भाजपा के शब्दकोश में सहयोगियों का मतलब सिर्फ 'अस्थायी सुविधा' है। इसलिए भाजपा की कार्यप्रणाली यह है कि जरूरत खत्म होते ही अस्थायी सुविधा भी खत्म कर दी जाए। यद्यपि बाहर से भाजपा की इस कूटनीति के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन सहयोगियों का दुर्भाग्य है कि जिन सहयोगियों का शिकार किया जा रहा है, उन्हें तब तक इसका एहसास नहीं होता, जब तक उनका शिकार नहीं किया जाता।
कौन हैं प्रवीण परदेसी?
बता दें कि प्रवीण परदेसी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के चहेते अधिकारियों में से एक रहे हैं। उन्हें कई प्राकृतिक आपदाओं में काम करने का अनुभव है। 1991 के लातूर भूकंप के दौरान वह लातूर के जिलाधिकारी थे। तब शरद पवार के मुख्यमंत्रित्वकाल में वह लातूर-उस्मानाबाद के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं पुनर्वास का काम करके चर्चा में आए थे।
फिर करीब एक दशक बाद जब गुजरात में भूकंप आया, और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने शरद पवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति का उपाध्यक्ष बनाया, तो पवार ने प्रवीण परदेसी को गुजरात में भी पुनर्वास का काम करने के लिए भिजवाया था।
लेकिन यही प्रवीण परदेसी जब कोविड महामारी के दौरान मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त थे, तो तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार ने उन्हें इस महत्त्वपूर्ण पद से हटा दिया था। क्योंकि तब तक उन पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से नजदीकी का ठप्पा लग चुका था।
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