सोने के निवेश पर तगड़े रिटर्न का वादा, व्यवसायी को लगा 15 करोड़ से अधिक का चूना; EOW ने शुरू की जांच
पालघर में एक व्यवसायी के साथ 15 करोड़ से अधिक की ठगी का मामला सामने आया है। एक कंपनी ने व्यवसायी से हाई रिटर्न का वादा करके 20 किलो सोना निवेश करवाया लेकिन 10 साल बाद भी शख्स को न को सोना वापस मिला और न पैसे। अब मामले की जांच मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है।

मिड डे, मुंबई। महाराष्ट्र के पालघर में एक व्यवसायी के साथ कथित तौर पर 15.10 करोड़ रुपये के सोने की ठगी का मामला सामने आया है। व्यवसायी की शिकायत के बाद मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है।
व्यवसायी ने आरोप लगाया कि हुन्नार गोल्ड्स, जिस कंपनी पर उसने 20 किलो कच्चा शुद्ध सोना देने का भरोसा किया था, ने अपने समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया और समझौते के अनुसार सोना भी वापस नहीं लिया, जिसके बाद अंबोली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
उच्च रिटर्न का दिया झांसा
अंबोली पुलिस स्टेशन के पीआई देवकरे ने बताया, 'शिकायत के अनुसार उन्होंने 13 अगस्त 2013 को हुन्नार गोल्ड्स के साथ 20 किलोग्राम कच्चा, शुद्ध सोना जमा किया, जिसके तहत कंपनी को सोने के उत्पादों के लिए विशेष बिक्री अधिकार दिए गए थे। इस समझौते में व्यवसायी को बिक्री पर 2% लाभ या 400 रुपये प्रति ग्राम सोना जो भी अधिक हो, देने का वादा किया गया था। साथ ही इस शर्त के साथ कि शर्तों का उल्लंघन होने पर 4 महीने के भीतर 20 किलोग्राम सोना वापस कर दिया जाएगा। शिकायतकर्ता के अनुसार, निवेश पर उच्च रिटर्न के वादों से जुड़ी एक सुनियोजित योजना के तहत उन्हें ठगा गया था।'
पीआई देवकरे ने कहा, 'हुन्नार गोल्ड्स के तेजस सोनी के रूप में पहचाने गए आरोपी ने कथित तौर पर समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया। शिकायतकर्ता द्वारा बार-बार याद दिलाने के बावजूद, तेजस सोनी कथित तौर पर सोना और वादा किए गए मुनाफे को वापस देने में विफल रहा। सोने का वर्तमान मूल्य, अन्य संबंधित घाटे के साथ, 15.10 करोड़ रुपये है।'
कंपनी के मालिक के खिलाफ मामला दर्ज
उन्होंने कहा, 'हुन्नार गोल्ड के तेजस सोनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। चूंकि सोना 2013 में जमा किया गया था, इसलिए एफआईआर बीएनएस के बजाय आईपीसी की धाराओं के साथ दर्ज की गई है। मामले को आगे की जांच के लिए ईओडब्ल्यू ने अपने हाथ में ले लिया है।'
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