Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bombay HC: बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिला को दी निजी अस्पताल में गर्भपात की अनुमति, जांच के बाद दायर की थी याचिका

    By Agency Edited By: Sonu Gupta
    Updated: Thu, 25 Apr 2024 05:52 PM (IST)

    बॉम्बे हाई कोर्ट ( Bombay High Court) ने एक महिला को उसकी 27 सप्ताह की गर्भावस्था को एक निजी अस्पताल में गर्भपात करने की अनुमति दे दी है। सरकारी जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यदि गर्भपात के दौरान महिला का बच्चा अगर जीवित पैदा होता है तो उसे नवजात गहन देखभाल इकाई में भर्ती किया जाएगा।

    Hero Image
    बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिला को दी निजी अस्पताल में गर्भपात की अनुमति। फाइल फोटो।

    पीटीआई, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ( Bombay High Court) ने गुरुवार को एक महिला को उसकी 27 सप्ताह की गर्भावस्था को एक निजी अस्पताल में गर्भपात करने की अनुमति दे दी है। मालूम हो कि महिला जन्मजात असामान्यताओं का सामना कर रही थी। कोर्ट ने यह अनुमति सरकारी अस्पताल में सुविधा उपलब्ध नहीं होने के बाद दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मेडिकल बोर्ड ने दी थी गर्भपात की अनुमति

    मालूम हो कि सरकारी जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने महिला की जांच करने के बाद उसे गर्भपात करने की अनुमति दे थी। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यदि गर्भपात के दौरान महिला का बच्चा अगर जीवित पैदा होता है तो उसे नवजात गहन देखभाल इकाई में भर्ती किया जाएगा।

    महिला ने की थी ये मांग

    वहीं, महिला ने इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी पसंद के निजी अस्पताल में गर्भपात कराने की मांग की थी। न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने इस सप्ताह की शुरुआत में यह जानना चाहा था कि क्या गर्भपात की यह सुविधा नगर निगम द्वारा संचालित कूपर अस्पताल या सरकारी जेजे अस्पताल में है या नहीं।

    महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने क्या कहा?

    मामले पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने पीठ को सूचित किया कि महिला गर्भवती से गुजर सकती है। हालांकि, गर्भपात की यह सुविधा कूपर या जेजे अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि महिला को वाडिया अस्पताल में रेफर किया जा सकता है, जिसका प्रबंधन कुछ हद तक नगर निकाय द्वारा किया जाता है।

     

    मालूम हो कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में हालिया संशोधन के कारण एक महिला सरकार द्वारा स्थापित मेडिकल बोर्ड की अनुमति के बाद ही गंभीर असामान्यताओं के मामले में 24 सप्ताह की गर्भधारण अवधि से परे गर्भावस्था को समाप्त कर सकती है। हालांकि, इस तरह की समाप्ति आमतौर पर सरकारी अस्पतालों में की जाती है।

    यह भी पढ़ेंः

     Weather Update: मौसम विभाग का सुकून भरा नया अपडेट, लू की मार से मिलेगी राहत; इन राज्यों में बारिश का अलर्ट

    Mumbai: 'गंभीर अपराध के मुकदमे में देरी जमानत का आधार नहीं', HC ने सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी को जमानत देने से किया इनकार