Politics: चार सीटों को लेकर टूटा था भाजपा-शिवसेना का गठबंधन, सीएम फडणवीस ने सुनाई 2014 की कहानी
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा और अविभाजित शिवसेना के बीच संबंध पहली बार 2014 में उस समय टूटे थे जब शिवसेना ने 147 सीटों के प्रस्ताव के स्थान पर 151 सीटों पर चुनाव लड़ने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि भाजपा ने तब 127 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी। वह शिवसेना को 147 सीटें देने को तैयार थी।

पीटीआई, मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा और अविभाजित शिवसेना के बीच संबंध पहली बार 2014 में उस समय टूटे थे, जब शिवसेना ने 147 सीटों के प्रस्ताव के स्थान पर 151 सीटों पर चुनाव लड़ने पर जोर दिया था।
माथुर 2014 में भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रभारी थे
उन्होंने कहा कि भाजपा ने तब 127 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी। वह शिवसेना को 147 सीटें देने को तैयार थी। उन्होंने ये बातें सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर के सम्मान में सोमवार रात आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहीं। माथुर 2014 में भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रभारी थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवसेना को 147 सीटों पर चुनाव लड़ने का अंतिम प्रस्ताव दिया गया था। हमने 127 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। जबकि हमारा मानना था कि हम 200 से अधिक सीट जीतेंगे। ऐसी योजना थी कि शिवसेना के पास मुख्यमंत्री का पद होगा, जबकि भाजपा के पास उप मुख्यमंत्री पद होगा।
शिवसेना पीछे हटने को तैयार नहीं थी
फडणवीस ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि हमें बताया गया कि 'युवराज' ने 151 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है और वे उस संख्या से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि उस समय नियति ने उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाने की योजना बनाई थी।
उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के साथ हुई बातचीत को भी याद किया। कहा कि हमने अमित शाह से बात की और उनसे कहा कि हमारे साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात की। मुझे, शाह और माथुर को भरोसा था कि हम 2014 के विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
चुनाव के बाद शिवसेना ने भाजपा से हाथ मिला लिया था
दोनों दलों ने 2014 का राज्य विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था। लेकिन चुनाव के बाद शिवसेना ने भाजपा से हाथ मिला लिया था। उस समय फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनाई गई थी। भाजपा और शिवसेना (तब अविभाजित) 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर फिर से अलग हो गए। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कई विधायक 2022 में उद्धव ठाकरे से अलग हो गए। इसके बाद शिवसेना विभाजित हो गई।
वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने शिवसेना के साथ संबंध तोड़ने की योजना पहले ही बना ली थी : राउत
फडणवीस की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (यूबीटी) के नेता एवं सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि बहुत सी बातें हुई थीं। उन्होंने दावा किया कि वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने शिवसेना के साथ संबंध तोड़ने की योजना पहले ही बना ली थी।
राउत ने कहा कि हर सीट पर 72 घंटे तक चर्चा चली। उस समय ओम माथुर भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रभारी थे। मैं ईमानदारी से स्वीकार करूंगा कि फडणवीस शिवसेना के साथ गठबंधन बनाए रखने के पक्ष में थे। वह गठबंधन चाहते थे, लेकिन यह इसलिए टूट गया क्योंकि भाजपा के वरिष्ठ नेता ऐसा चाहते थे।
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