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Afzal Khan News: बीस साल में मकबरे में बदल दी गई अफजल खान की कब्र

Afzal Khan News महाराष्ट्र में अफजल खान की कब्र के इर्द-गिर्द हटाया गया अतिक्रमण इन दिनों विवाद का कारण बना हुआ है। सातारा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज के किले के पास स्थित अफजल खान की कब्र को पिछले 20 वर्षों में ही धीरे-धीरे मकबरे का रूप दे दिया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraPublished: Sat, 12 Nov 2022 03:09 PM (IST)Updated: Sat, 12 Nov 2022 07:37 PM (IST)
Afzal Khan News: बीस साल में मकबरे में बदल दी गई अफजल खान की कब्र
बीस साल में मकबरे में बदल दी गई अफजल खान की कब्र। फाइल फोटो

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Afzal Khan News: महाराष्ट्र में अफजल खान (Afzal Khan) की कब्र के इर्द-गिर्द हटाया गया अतिक्रमण इन दिनों विवाद का कारण बना हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) भी इस मामले में महाराष्ट्र सरकार व वन विभाग से रिपोर्ट मांग चुका है, लेकिन सच्चाई यही है कि सातारा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज के किले के पास स्थित अफजल खान की कब्र को पिछले 20 वर्षों में ही धीरे-धीरे मकबरे का रूप दे दिया गया था।

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अफजल खान जहां मारा गया, उसके निकट बनवा दी थी कब्र

अफजल खान व छत्रपति शिवाजी महाराज की भिड़ंत इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज है। बीजापुर के आदिलशाही वंश के सेनापति रहे अफजल खान की छत्रपति शिवाजी से मुलाकात सातारा के प्रतापगढ़ किले के नीचे हुई थी। वहीं, छत्रपति शिवाजी ने अपने बघनखे से लंबे-तगड़े अफजल खान का पेट फाड़कर उसका वध कर दिया था। शिवाजी ने जहां उसका वध किया था, उसके निकट ही उसकी कब्र भी बनवा दी थी। लगभग 20 वर्ष पहले तक प्रतापगढ़ किले की सीढ़ियों के निकट बनी यह कब्र छत्रपति शिवाजी की वीरता और साहस की गाथा सुनाती प्रतीत होती थी, लेकिन आसपास के गांवों में रहने वालों का कहना है कि सन् 2000 के बाद अफजल खान की कब्र का सौंदर्यीकरण शुरू कर दिया गया। उसके ऊपर न सिर्फ एस्बेस्टस शीट का छत्र लगा दिया गया, बल्कि उस छत्र के अंदर मौलानाओं के लिए कमरे तक बना दिए गए।

हाई कोर्ट ने दिए थे अतिक्रमण हटाने के निर्देश

कहा जाता है कि इन कमरों में रहने वाले मौलाना प्रतापगढ़ किले की ओर जाने वाले पर्यटकों को अफजल खान की वीरता की गाथा तक सुनाने लगे थे। कब्र के आसपास बढ़ते जा रहे इस अतिक्रमण को हटाने के लिए स्थानीय लोगों ने 2006 में ही वन विभाग को लिखा था। वन विभाग द्वारा कोई ध्यान न देने पर अतिक्रमण रोकने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई। मुंबई उच्च न्यायालय ने इन याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए 15 अक्तूबर, 2008 व 11 नवंबर, 2009 को वन विभाग व राजस्व विभाग की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए। तत्कालीन संप्रग सरकार उच्च न्यायालय के इस निर्णय पर अमल नहीं करवा सकी। करीब आठ साल बाद 2017 में फिर उच्च न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने की अंतिम चेतावनी दी। तब तक अतिक्रमण और बढ़ चुका था। उस समय की देवेंद्र फडणवीस की सरकार थी, लेकिन कुछ कानूनी अड़चनें आ जाने के कारण वह भी अतिक्रमण नहीं हटा सकी। गुरुवार को भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच कुछ ही घंटों में सारा अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिया गया।

अतिक्रमण की कार्रवाई पर शिवसेना उद्धव ठाकरे की चुप्पी

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि यह वही तिथि थी, जिस दिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध किया था। इस तिथि को महाराष्ट्र में ‘शिव प्रताप दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। अफजल की कब्र के आसपास के अतिक्रमण पर हुई कार्रवाई के बाद जहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समर्थक व भाजपा कार्यकर्ता जहां उत्साहित हैं, वहीं शिवसेना सहित महाविकास आघाड़ी के दल फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं। क्योंकि शिवसेना में विभाजन के बाद से उद्धव ठाकरे पर हिंदू विरोधी होने का आरोप पहले से लगता रहा है। अतिक्रमण हटाने का काम भी उच्च न्यायालय के निर्देशों पर हुआ है। अतिक्रमण हटाने के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ के एक न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने याचिकाकर्ता के वकील से भी पूछा कि जो व्यक्ति सन 1659 में मरा हो, उसकी कब्र पर कोई मकबरा 1959 में कैसे बन सकता है। न्यायमूर्ति ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में इसे वन विभाग की भूमि पर किया गया अवैध निर्माण बताया है।

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