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    Sharad Yadav: जबलपुर से था शरद यादव का खास नाता, देवा के मंगोड़े की ये कहानी आपने सुनी?

    By Jagran NewsEdited By: Jagran News Network
    Updated: Fri, 13 Jan 2023 11:40 AM (IST)

    जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव नहीं रहे। उनके चले जाने से चारों ओर शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर राहुल गांधी सभी ने भारत के इस कद्दावर नेता को श्रद्धांजलि दी।

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    जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का कल निधन हो गया।

    जबलपुर। जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव नहीं रहे। गुरुवार को उन्होंने आखिरी सांस ली। शरद यादव भारतीय राजनीति के कद्दावर राजनेताओं में से एक थे। वैसे शरद यादव का मध्य प्रदेश के जबलपुर से गहरा नाता रहा है। उन्होंने इसी शहर से छात्र राजनीति में दस्तक दी। जबलपुर से ही शरद यादव ने छात्र के रुप में राजनीति की शुरुआत की। जबलपुर से निकले एक तेज तर्रार लड़के ने आने वाले समय में भारतीय राजनीति में एक नया मुकाम हासिल किया।

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    तेज तर्रार छात्र नेता से राजनेता बनने का सफर

    शरद यादव ने जबलपुर से ही राजनीतिक एबीसीडी पढ़ी थी। शरद यादव जबलपुर इंजीनियरिंग महाविद्यालय के छात्र थे। न सिर्फ छात्र बल्कि वो जबलपुर छात्र संघ के अध्यक्ष भी थे। राजनीति में भी उनकी एंट्री यहीं से हुई हालांकि उनके राजनीतिक करियर को एक नया मुकाम और पहचान दोनों बिहार से मिलe।

    शरद यादव को पहली बार जय प्रकाश नारायण ने खुद की मर्जी से उम्मीदवार बनाया था। सेठ गोविन्द दास के निधन के बाद जबलपुर की सीट खाली हुई और तभी शरद यादव इस सीट से उम्मीदवार बने थे। एक नया चेहरा और नए जज्बे को सभी ने पसंद किया। मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पीसी सेठी ने शरद यादव को हराने के लिए सारे तिकड़म लगा दिए थे, लेकिन उसके बावजूद जेपी नारायण का उम्मीदवार यानी शरद यादव ने विजय हासिल की थी। इस तरह से शरद यादव ने राजनीति में एंट्री मारी और आज उनका नाम ही काफी है।

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    समाजवाद से रहा नाता

    शरद यादव ने जेपी आंदोलन के समय समग्र क्रांति की मशाल थामी। जेपी आंदोलन के समय समग्र क्रांति की मशाल थामने के बावजूद शरद यादव कभी समाजवादी विचारधारा मात्र के प्रति दुराग्रही नहीं रहे। यही कारण है कि कांग्रेस से लेकर बीजेपी के सभी नेता उनका आदर करते हैं।

    जबलपुर से छात्रनेता के रुप में शरद यादव ने जो रुतबा कमाया उसका कर्ज उन्होंने हमेशा उतारा। जब भी उन्हें बड़ा पद मिला उन्होंने जबलपुर के हक की आवाज उठाई। ब्राडगेज के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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    देवा के मंगोड़े के दीवाने थे शरद यादव

    जबलपुर शहर की खास पहचान 'देवा मंगोड़े वाले' से थी। हालांकि अब जीवित नही हैं लेकिन उनके बेटे पिता की धरोहर को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। ये वहीं देवा के मंगोड़े थे जो शरद यादव को पसंद थे। शरद यादव छात्र राजनीति के दौर में देवा के मंगोड़े के दीवाने थे।

    सिर्फ मंगोड़े नहीं बल्कि यहां के चाय-पान के अड्डों में शरद यादव की आवाजाही थी और यहीं बैठकर राजनीति की खूब चर्चा होती थी। श्याम टाकीज चौक पर महफिल जमती थी। रामेश्वर नीखरा सहित कई ऐसे लोग थे जो शरद का उत्साहवर्धन करते थे।

    इसी शहर ने शरद यादव को बेबाक बनाया। नर्मदा की माटी ने उनके व्यक्तित्व को सोंधी खांटी सुगंध दी और नर्मादा जल ने उनके स्वभाव को सौम्य-मिलनसार व तरल के साथ ही तेज़-तर्रार भी बनाया। शरद यादव तभी जमीन से जुड़े नेता भी कहलाए।

    इन लोगों ने दी श्रद्धांजलि

    शरद यादव का जबलपुर से खास नाता था और उनके यूं चले जाने पर इस शहर ने भी अपना एक सपूत खो दिया। जबलपुर के कुछ खास लोगों ने उन्हें कुछ यूं श्रद्धांजलि दी।

    जबलपुर की पृष्ठभूमि से राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले शरद यादव का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। इसकी भरपाई नहीं की जा सकती। उन्होंने जबलपुर के हक के लिए जो संघर्ष किया है उसको भुलाया नहीं जा सकता। नगर कांग्रेस कमेटी और संस्कारधानी की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि। - जगत बहादुर सिंह अन्नू, महापौर

    समाजवादी विचारधारा को मानने वाले शरद यादव ने जबलपुर के लिए भी काफी संघर्ष किया था। वे जनता की आवाज बुलंद करते रहे। उनके निधन की खबर सुनकर दुःख हुआ। मेरी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। - अशोक रोहाणी, विधायक कैंट

    जबलपुर से राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर राष्ट्रीय नेता बनने वाले शरद यादव जी सबसे सुलझे नेताओं में से एक जाने की खबर अत्यंत दुखद ख़बर है। ईश्वर उनके परिजनों को दुख की यह घड़ी सहने की शक्ति प्रदान करें। - रिंकू विज, निगम अध्यक्ष

    शरद यादव के यूं चले जाने से भारतीय राजनीति को ऐसी क्षति हुई है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।