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    इंदौर ITI में मूक-बधिर छात्रों पर सितम, पढ़ाई की जगह कराया जा रहा मजदूरी का काम, विरोध पर फेल करने की धमकी

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 09:57 PM (IST)

    इंदौर के सुखलिया स्थित आईटीआई के मूक-बधिर छात्रों ने आरोप लगाया है कि उन्हें पढ़ाई के बजाय साफ-सफाई जैसे काम कराए जा रहे हैं। तकनीकी शिक्षा के लिए योग ...और पढ़ें

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    दिव्यांग विद्यार्थियों में नाराजगी (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, इंदौर। इंदौर के सुखलिया क्षेत्र में स्थित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था (ITI) के दिव्यांग केंद्र से एक बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। यहां अध्ययनरत मूक-बधिर छात्र-छात्राओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें तकनीकी शिक्षा देने के बजाय मजदूरों की तरह काम कराया जा रहा है। पढ़ाई के समय छात्रों से परिसर की साफ-सफाई, बगीचे की घास कटवाने जैसे काम कराए जाते हैं।

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    पीड़ित विद्यार्थियों ने कलेक्टर शिवम वर्मा की जनसुनवाई में अपनी व्यथा रखी, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। आईटीआई प्रबंधन ने जांच शुरू करते हुए प्रभारी अधिकारी और दुभाषिया (इंटरप्रेटर) को पद से हटा दिया है।

    तकनीकी प्रशिक्षण सिर्फ कागजों तक

    दिव्यांग केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर एवं प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (कोपा) पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है, जिसमें 24 मूक-बधिर विद्यार्थी नामांकित हैं। छात्रों का आरोप है कि संस्थान में न तो सांकेतिक भाषा जानने वाला योग्य शिक्षक है और न ही प्रभावी दुभाषिया। इससे उन्हें तकनीकी विषय समझने में भारी परेशानी होती है।

    छात्रों का कहना है कि कोपा जैसे अहम कोर्स को महज औपचारिकता बनाकर चलाया जा रहा है। रोजगार योग्यता से जुड़ा ‘एम्प्लॉयबिलिटी स्किल्स’ विषय तो पढ़ाया ही नहीं जाता। कई बार 1-2 मिनट का वीडियो बनवाकर व्हाट्सएप ग्रुप में भेजने को कह दिया जाता है और इसे ही कक्षा मान लिया जाता है।

    हॉस्टल और मेस की बदहाल व्यवस्था

    विद्यार्थियों ने छात्रावास की दयनीय स्थिति भी उजागर की है। शौचालयों में पानी की व्यवस्था नहीं है, सीटें टूटी हुई हैं और दरवाजों के ताले खराब पड़े हैं। मेस में मिलने वाला भोजन भी बेहद खराब गुणवत्ता का बताया गया है।
    हॉस्टल में गीजर, कूलर या हीटर जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। मच्छरों से बचाव के लिए जाली या मच्छरदानी तक नहीं दी गई है। वहीं पढ़ाई के लिए पर्याप्त कंप्यूटर भी छात्रों को नहीं मिल पा रहे।

    भ्रष्टाचार और डराने-धमकाने के आरोप

    छात्रों ने संस्थान में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए हैं। उनका कहना है कि किताबें, यूनिफॉर्म और कॉपियां दानदाताओं द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं, इसके बावजूद संस्थान के जिम्मेदार अधिकारी इसके नाम पर छात्रों से पैसे वसूलते हैं। आरोप है कि जब विद्यार्थी इन अव्यवस्थाओं का विरोध करते हैं, तो उन्हें परीक्षा में फेल करने की धमकी दी जाती है।

    फिलहाल, प्रशासनिक जांच शुरू हो चुकी है। दिव्यांग छात्रों के भविष्य से जुड़े इस मामले में अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि दोषियों पर कितनी सख्त कार्रवाई होती है और क्या पीड़ित विद्यार्थियों को न्याय मिल पाता है।