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    इंदौर में साइबर ठगों के हौसले बुलंद : पुलिसकर्मियों के मोबाइल हैक, APK फाइल से फैलाया जाल; SI के खाते से उड़े ₹58 हजार

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 01:21 AM (IST)

    इंदौर में साइबर अपराधियों ने पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया, उनके मोबाइल और व्हाट्सएप अकाउंट हैक कर लिए। हैकर्स फर्जी ई-चालान के नाम पर APK फाइलें भेज ...और पढ़ें

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    साइबर ठगों का नया पैंतरा (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, इंदौर। साइबर अपराधियों ने इस बार सीधे पुलिसकर्मियों को निशाना बनाते हुए उनके मोबाइल फोन और व्हाट्सएप अकाउंट हैक कर लिए। हैक किए गए नंबरों से हजारों यूजर्स को फर्जी ई-चालान के नाम पर APK फाइलें भेजी जा रही हैं। चंदननगर, लसूड़िया और आजाद नगर थानों में पदस्थ पुलिसकर्मियों ने मामले की शिकायत क्राइम ब्रांच में दर्ज कराई है। पुलिस ने व्हाट्सएप अकाउंट हैक होने की जानकारी मेटा (Meta) को ई-मेल के जरिए दी है।

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    एडिशनल डीसीपी (अपराध) राजेश दंडोतिया के अनुसार, साइबर ठगों ने पुलिसकर्मियों के व्हाट्सएप अकाउंट पर कब्जा कर उनकी डिस्प्ले पिक्चर हटा दी और उसकी जगह अंग्रेजी में “E-Challan” लिख दिया। इसके बाद उन्हीं नंबरों से ट्रैफिक पुलिस के नाम पर फर्जी नोटिस और लगभग 7 एमबी की APK फाइल भेजी जा रही है। यूजर्स इसे असली ट्रैफिक चालान समझकर जैसे ही फाइल खोलते हैं, उनका मोबाइल पूरी तरह साइबर अपराधियों के नियंत्रण में चला जाता है।

    पिछले पांच दिनों से पुलिसकर्मियों के नंबरों से उनके रिश्तेदारों और परिचितों को लगातार ऐसे संदेश भेजे जा रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह ने तुरंत एडवाइजरी जारी की है।

    थानेदार का अकाउंट भी नहीं बचा

    इस साइबर ठगी में एक सब-इंस्पेक्टर (SI) के बैंक खाते से 58 हजार 300 रुपये निकाल लिए गए। हैरानी की बात यह है कि संबंधित SI उस नंबर पर व्हाट्सएप का इस्तेमाल भी नहीं करते थे। जैसे ही परिचितों के पास मैसेज पहुंचने लगे और कॉल आने शुरू हुए, धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। इसके बाद उनके बेटे ने मेटा को ई-मेल कर व्हाट्सएप अकाउंट बंद करवाया।

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    APK फाइल से बढ़ रही ठगी

    एडीसीपी के मुताबिक, इस साल अब तक APK फाइल के जरिए धोखाधड़ी के 248 मामले सामने आ चुके हैं। साइबर अपराधी इस माध्यम से सवा करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर चुके हैं। APK फाइल पर क्लिक करते ही अपराधियों को यूजर की कॉन्टैक्ट लिस्ट और गैलरी तक पहुंच मिल जाती है, जिसका इस्तेमाल कर वे ब्लैकमेलिंग और आर्थिक ठगी करते हैं।

    अनजान लिंक पर क्लिक ने करें, सावधानी रखे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग के दौरान सावधानी रखें। अनजान लिंक पर क्लिक न करें। कोई भी लुभावने ऑफर और निवेश, उपहार के झांसे में न आए। ठग निजी जानकारी से ब्लैकमेल और अकाउंट की जानकारी से रुपये निकाल सकते है। कोई भी दिक्कत आने पर 1930 पर शिकायत करें।- संतोष कुमारसिंह पुलिस कमिश्नर (एडीजी)