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    जिम्मेदार अधिकारी से होगी वेतन की वसूली, ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल मामले में MP हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

    Updated: Thu, 26 Dec 2024 12:55 PM (IST)

    मध्य प्रदेश में ट्रांसपोर्ट कॉन्स्टेबल की याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने मामले में एक कमेटी बनाकर जिम्मेदारी अधिकारी की पहचान करने और उससे 10 साल तक मिले वेतन की वसूली करने के निर्देश दिया है। ये प्रक्रिया 90 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। आपको बता दें कि राज्य में महिला अभ्यर्थियों के लिए रिजर्व 45 सीटों पर पुरुष आरक्षकों की भर्ती हुई थी।

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    90 दिन के अंदर जिम्मेदार अधिकारी की पहचान करने का निर्देश (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के एक फैसले ने परिवहन विभाग के अफसरों की मुसीबत बढ़ा दी है। हाईकोर्ट ने उन 45 परिवहन आरक्षकों 10 साल तक मिले वेतन की वसूली जिम्मेदार अधिकारी से करने के निर्देश दिए हैं, जिनकी भर्ती 2014 में निरस्त कर दी गई थी।

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    इस फैसले के बाद से ही परिवहन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। हाईकोर्ट ने एक कमेटी बनाकर जांच करने और 90 दिन के अंदर जिम्मेदार अधिकारी की पहचान कर उससे वसूली करने का निर्देश दिया है।

    2012 में निकली थी भर्ती

    दरअसल 2012 में मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग ने आरक्षकों (कॉन्स्टेबल) की भर्ती निकाली थी। इसमें कई पद महिला अभ्यर्थियों के लिए भी रिजर्व थे। ये भर्ती प्रक्रिया 2013 में पूरी की गई थी।

    हाईकोर्ट ने रद्द की थी नियुक्ति

    (फाइल फोटो)

    लेकिन नियमों के उलट जाकर करीब 45 पुरुष आरक्षकों की भर्ती महिला अभ्यर्थियों के लिए रिजर्व सीटों पर कर दी गई। ये भर्ती महज दो साल के लिए की गई थी। लेकिन हर 2 साल पर कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू किया जाता रहा।

    हाईकोर्ट पहुंचे 14 आरक्षक

    इसके बाद 17 अक्टूबर 2023 को इन 45 आरक्षकों में से 14 हाईकोर्ट पहुंच गए। उन्होंने याचिका दाखिल कर अपनी भर्ती को नियमित करने की अपील ही। आरक्षकों ने कहा कि अप्रैल-मई 2013 में उन्हें 2 साल की परिवीक्षा अवधि के लिए नियुक्त किया गया था।

    उन्होंने कहा कि तब से लगातार अब तक उनका कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया जा रहा है, लेकिन उन्हें परमानेंट नहीं किया जा रहा है। आरक्षकों ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि अदालत उन्हें नियमित करने का आदेश दे।

    अदालत में पड़ी एक और याचिका

    इसी बीच 25 सितंबर 2024 को परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता ने इन परिवहन आरक्षकों को सेवा से पृथक करने का आदेश जारी कर दिया। इससे आरक्षक और भड़क गए और इस आदेश के खिलाफ एक और याचिका दाखिल की गई।

    हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई शुरू हुई, तो आरक्षकों की तरफ से कहा गया कि उन्हें 10 साल से अधिक समय हो गया है। विभाग में परिवहन आरक्षकों के पद रिक्त हैं, इसलिए उनमें समायोजन किया जाए।

    हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

    • याचिका को लेकर मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से जवाब दाखिल किया गया।
    • सरकार ने बताया कि 27 जनवरी 2014 को ही हाईकोर्ट ने 45 आरक्षकों की नियुक्ति को निरस्त करने का आदेश दिया था।
    • इसके खिलाफ शासन सुप्रीम कोर्ट तक भी गया था, लेकिन राहत नहीं मिली थी।
    • सारी दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना आदेश सुनाया।
    • हाईकोर्ट ने कहा कि नियुक्ति अनुचित ठहराए जाने के बाद भी इन आरक्षकों को नौकरी करने की अनुमति दी गई।

    अधिकारी से होगी वसूली

    हाईकोर्ट ने कहा कि ये सीधे तौर पर जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग है। मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी बनाई जाए, जो यह पता लगाए कि आखिर किस अधिकारी के आदेश से इन परिवहन आरक्षकों को नौकरी करने की अनुमति दी गई।

    अदालत ने कहा कि भर्ती रद्द होने के बावजूद इन आरक्षकों से न सिर्फ काम कराया गया, बल्कि उन्हें वेतन भी दिया गया। इसलिए ऐसे अधिकारी की पहचान कर आरक्षकों को 10 साल से अधिक समय तक दिए गए वेतन की वसूली की जाए। अदालत ने ये प्रक्रिया 90 दिनों के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया है।

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