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    डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 51 लाख रुपये, 12 आरोपी पकड़ाए, अब पीड़िता ने किया समझौता; कहा- वापस मिल गए पैसे

    Updated: Sun, 10 Nov 2024 12:04 AM (IST)

    Gwalior ग्वालियर में डिजिटल अरेस्ट के एक अनोखे मामले में आरोपी और पीड़िता ने आपस में समझौता कर लिया है जिसके बाद कोर्ट ने पीड़िता के आग्रह पर एफआईआर निरस्त कर दी है। पीड़िता ने कोर्ट में कहा कि उसे पैसे वापस मिल गए हैं। इससे पहले आरोपियों ने पीड़िता से 51 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया था। पढ़ें क्या है पूरा मामला।

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    महिला ने आरोपियों से समझौता कर लिया। (File Image)

    जेएनएन, ग्वालियर। डिजिटल अरेस्ट के मामले में ग्वालियर की पीड़िता 71 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक आशा भटनागर ने ठगों के साथ समझौता कर लिया और इस आधार पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने हाल ही में उस मामले की एफआईआर निरस्त कर दी। महिला ने कोर्ट में कह दिया कि ठगों ने उनका पैसा वापस कर दिया है, इसलिए समझौता करना चाहती हैं।

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    स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें हृदय की बीमारी है और बार-बार कोर्ट नहीं आ सकतीं। पीड़िता के समझौता करने के बाद कोर्ट की ओर से एफआईआर निरस्त होने से आरोपितों पर लगे आरोप खत्म हो गए हैं। हालांकि ऐसे अपराध को 'समाज के विरुद्ध अपराध' की श्रेणी में रखा जाता है।

    संगीन मामलों में नहीं होती समझौते की गुंजाइश

    उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष 14 मार्च को डिजिटल अरेस्ट कर आशा भटनागर से ठगों ने 51 लाख रुपये अपने दो खातों में ट्रांसफर करा लिए थे। इस मामले में पुलिस ने 12 लोगों को आरोपित बनाया था। विधि विशेषज्ञों के अनुसार, कोर्ट में आने वाले कई मामले ऐसे होते हैं, जिन्हें दोनों पक्षों के बीच समझौते के आधार पर खत्म कर दिया जाता है, लेकिन कई ऐसे संगीन और समाज के विरुद्ध अपराध होते हैं, जिनमें समझौते की गुंजाइश नहीं होती है।

    खासतौर पर दुष्कर्म, हत्या, डकैती, साइबर धोखाधड़ी और डिजिटल अरेस्ट सहित ऐसे मामले, जिनमें समाज पर बुरा असर पड़ता है। वरिष्ठ अधिवक्ता और विधि विशेषज्ञ भी साइबर धोखाधड़ी के मामले में समझौता किए जाने की संभावना को नकारते हैं। उल्लेखनीय है कि सेवानिवृत्त शिक्षक को ठगों ने मुंबई पुलिस का फर्जी अधिकारी बनकर झूठा मुकदमा दर्ज करवाने की धमकी दी थी।

    12 आरोपियों को किया था गिरफ्तार

    महिला ने बैंक जाकर एफडी तोड़कर आरोपित ठग मीर मुदस्सिर के खाते में 46 लाख रुपये और दूसरे आरोपित अक्षय बागडि़या के खाते में पांच लाख रुपये भेजे। उन्हें जब समझ में आया कि उनके साथ ठगी हुई है तो उन्होंने ग्वालियर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया। निचली अदालत में चालान पेश हुआ, आरोपित जेल भी गए। इस बीच आरोपितों ने मप्र हाई कोर्ट में याचिका लगाकर पीड़िता से समझौता होने की जानकारी दी।

    ऐसे चला केस

    मामले में आरोपितों को पकड़कर पुलिस ने केस ग्वालियर के जिला एवं सत्र न्यायालय में नौ अगस्त 2024 को दाखिल किया। इसी बीच आरोपितों की ओर से 14 अक्टूबर को हाई कोर्ट में एफआईआर निरस्त करने के लिए याचिका दायर की गई। इसके तहत सात नवंबर को हुई सुनवाई में आरोपितों के वकील अरुण पटैरिया ने कहा कि शिकायतकर्ता ने इस मामले में राजीनामा कर लिया है, अत: एफआईआर निरस्त कर दी जाए। कोर्ट ने एफआईआर निरस्त कर दी।

    हत्या, लूट, डकैती, दुष्कर्म, साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट जैसे जो मामले समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और अपराध की श्रेणी में आते हैं, उनमें राजीनामा किए जाने की गुंजाइश नहीं होती है।

    -राजेश शुक्ला, एडवोकेट, ग्वालियर हाई कोर्ट।