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    सज गई थी 88 वर्षीय बुजुर्ग की अर्थी फिर पड़ोसी ने बुला ली पुलिस, पढ़ें कैसे मां के हत्यारे बेटों की खुल गई पोल

    Updated: Fri, 13 Dec 2024 09:47 PM (IST)

    मध्य प्रदेश के ग्वालियर की राय कालोनी में दो बेटों ने मिलकर 88 वर्षीय कमला देवी कोष्टा की हत्या कर दी। बुजुर्ग महिला चलने फिरने में में लाचार हो चुकी थी। आरोपित प्रेम नारायण और डालचंद ने मां कमला देवी की हत्या नौ दिसंबर को कर दी थी। सामान्य मौत बताकर अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। अर्थी सज गई लेकिन तभी पड़ोस में रहने वाली महिला को संदेह हुआ।

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    ग्वालियर में रहने वाली 88 वर्षीय कमला देवी कोष्टा को दो उनके ही बेटे ने मार डाला।(फोटो सोर्स: जागरण)

    जेएनएन, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर की राय कालोनी में रहने वाली 88 वर्षीय कमला देवी कोष्टा को उनके ही बेटों प्रेम नारायण और डालचंद ने गला घोंटकर मार दिया। यह पाप इसलिए किया ताकि चलने-फिरने में लाचार हो चुकी मां की देखभाल नहीं करनी पड़े। दिल दहला देने वाली इस वारदात का राजफाश होने के बाद ग्वालियर थाने की पुलिस ने गुरुवार रात दोनों के विरुद्ध हत्या का प्रकरण दर्ज कर उनको गिरफ्तार कर लिया।

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    पड़ोस में रहने वाली महिला ने पुलिस को दी जानकारी 

    आरोपित प्रेम नारायण और डालचंद ने मां कमला देवी की हत्या नौ दिसंबर को कर दी थी। सामान्य मौत बताकर अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। अर्थी सज गई, लेकिन तभी पड़ोस में रहने वाली महिला को संदेह हुआ। उसने गले पर निशान देख पुलिस को खबर कर दी। ग्वालियर थाने की पुलिस पहुंची और पूछताछ की तो बेटों ने बताया कि मां की बीमारी से मौत हुई है।

    पुलिस ने दबाव डाला और पोस्टमार्टम के लिए शव भेजा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राज खुला कि गर्दन की हड्डी टूटी है। गला दबाकर मारा गया है।

    मां को बेघर करने पर भी हुई थी एफआइआर

    दोनों बेटे मां को साथ रखना नहीं चाहते थे। मां को कुछ समय पहले बेघर करने पर वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण अधिनियम के तहत उनके विरुद्ध एफआइआर भी दर्ज हुई थी। इसके बाद दोनों भाइयों ने मां को एक-एक माह रखने का अनुबंध किया। दोनों कई बार तो उन्हें खाना तक नहीं देते थे।

    पुलिस के सामने कर रहे थे नौटंकी, फूट-फूटकर रोए

    थानाप्रभारी आसिफ मिर्जा बेग ने बताया कि जब वृद्धा की मौत के बाद सूचना मिली कि यह मामला संदिग्ध है तो तुरंत पुलिस बल मौके पर पहुंचा। इस दौरान दोनों बेटे फूट-फूटकर रोने लगे। बहुत नौटंकी की। दोनों का प्रयास था कि पार्थिव देह का पोस्टमार्टम न हो। एक दुकानदार बाद में थाने आया और बोला कि यह दोनों इतना रो ही नहीं सकते।

    दोनों मां को बोझ समझते थे। एक कोठरी में उन्हें छोड़ रखा था। मोहल्ले वाले उनकी स्थिति देखकर खाना-कपड़े दे देते थे। सर्दी में उनके पास गर्म कपड़े तक नहीं थे। यहां से पुलिस का शक गहराया। फिर दोनों की गतिविधि पर निगाह रखी गई। घटना वाले दिन नौ दिसंबर को इनके हर मूवमेंट से जुड़े तकनीकी साक्ष्यों का विश्लेषण किया गया। इस बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हत्या की पुष्टि हो गई।

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