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    'बिहार में राष्ट्रपति शासन के लिए मॉस्को में बैठे राष्ट्रपति से ली गई थी मंजूरी', ललन सिंह ने संसद में सुनाया 24 साल पुराना किस्सा

    Updated: Fri, 13 Dec 2024 08:04 PM (IST)

    संसद में शुक्रवार को संविधान के मुद्दे पर बहस हुई जिस दौरान सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इस बीच केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला और कहा कि कांग्रेस को संविधान के मुद्दे पर बोलने का कोई हक नहीं है। साथ ही उन्होंने 24 साल पुरानी घटना का जिक्र किया जब राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए मॉस्को से राष्ट्रपति की मंजूरी ली गई।

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    ललन सिंह ने कहा कि संविधान की रक्षा पर बोलने का कांग्रेस को हक नहीं है। (Photo- ANI)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सदन में संविधान पर चर्चा के दौरान राजग के सहयोगी दलों ने भी भाजपा के साथ एकजुटता दिखाई। कांग्रेस के कार्यकाल में संविधान के दुरुपयोग का मुद्दा उठाते हुए जदयू नेता एवं केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला और कहा कि संविधान की रक्षा पर उसे बोलने का हक नहीं।

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    प्रियंका गांधी एवं राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन्हें कांग्रेस सरकारों का इतिहास जानने का सुझाव दिया। ललन ने कांग्रेस को संविधान का भक्षक बताया और कहा कि कई बार संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली कांग्रेस के सदस्य अब इसकी प्रतियां लेकर घूम रहे हैं। चर्चा में हिस्सा लेते हुए राजग के सहयोगी दल तेदेपा एवं लोजपा ने भी भाजपा का साथ दिया।

    अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग का लगाया आरोप

    केंद्र की राजग सरकार में शामिल जदयू की ओर से बोलते हुए ललन सिंह ने कहा कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने कई बार अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग करते हुए विभिन्न राज्यों में अकारण राष्ट्रपति शासन लगाए। रात के अंधेरे में संविधान को तार-तार किया। आधी रात को देश में आपातकाल लगाया।

    ललन ने बिहार में चुनी हुई एक सरकार को अवैध तरीके से बर्खास्त करने का उल्लेख करते हुए कहा कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने आनन-फानन में मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई और बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने से संबंधित फैसले पर मॉस्को में बैठे राष्ट्रपति से फैक्स के जरिए मंजूरी ली गई। फिर भी कांग्रेस संविधान की रक्षक होने का दावा कर रही है। उसे संविधान से लेना-देना नहीं है।

    आरक्षण समाप्त करने के दावे को किया खारिज

    ललन ने पीएम मोदी का पक्ष लेते हुए विपक्ष के उस दावे को खारिज किया, जिसमें आरक्षण समाप्त करने की बात प्रचारित की जा रही है। ललन ने कहा कि मोदी कई बार कह चुके हैं कि जब तक वह जीवित हैं, तब तक आरक्षण समाप्त नहीं होगा। तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने संविधान पर चर्चा के दौरान केंद्र से ज्यादा आंध्र प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल को निशाने पर रखा।

    तेदेपा सांसद डॉ. बायरेड्डी शबरी ने कहा कि वाईएसआर कांग्रेस-नीत तत्कालीन सरकार ने संविधान के सभी खंडों का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की खासियत है कि देश का प्रधानमंत्री एक चायवाला बन सकता है और राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला।

    कांग्रेस ने भारत की अखंडता पर चोट की : शांभवी

    लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने विपक्षी दलों पर विदेशियों से मिलकर भारत की संप्रभुता पर चोट करने का आरोप लगाया। संविधान पर चर्चा के दौरान सदन में सांसद शांभवी चौधरी ने कांग्रेस पर आपातकाल के जरिए संविधान को चोट पहुंचाने और डाॉ. भीमराव आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस के दो प्रधानमंत्रियों ने अपने लिए भारत रत्न ले लिया, किंतु संविधान निर्माता आंबेडकर को इस लायक नहीं समझा। यहां तक कि जिस सेंट्रल हाल में संविधान निर्माण पर चर्चा हुई थी, वहां बाबा साहेब का एक चित्र तक नहीं लगाया।

    शांभवी ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने संविधान के सिद्धांतों को मजबूती दी है। राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए शांभवी ने कहा कि संविधान नेता के हाथ में नहीं, बल्कि दिल में होना चाहिए। दावा किया कि जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी एवं राजीव गांधी आरक्षण को जारी रखने के पक्ष में नहीं थे। उन्हें लगता था कि आरक्षण से दोयम दर्जे के नागरिक आते हैं।