MP में चीते की मौत मामले में पहली बार POR दर्ज, वाहन से मिले बाल के नमूने जांच को भेजेंगे उत्तराखंड
मध्य प्रदेश में चीतों की मौत के मामलों में पहली बार वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए POR दर्ज की है। यह मामला घाटीगांव क्षेत्र में मादा चीता गामिनी के शा ...और पढ़ें

कूना नेशनल पार्क में चीता (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। मध्यप्रदेश में चीतों की मौत के मामलों में पहली बार वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रीमिलरी ऑफेंस रिपोर्ट (POR) दर्ज की है। यह मामला घाटीगांव क्षेत्र में मादा चीता गामिनी के शावक की सड़क हादसे में मौत से जुड़ा है, जहां तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से चीते की जान चली गई थी। इससे पहले कूनो नेशनल पार्क और आसपास के इलाकों में हुई चीतों की मौत के मामलों में कभी POR दर्ज नहीं की गई थी, जबकि नियमों के तहत यह जरूरी है।
संदिग्ध वाहन से मिले बाल जाएंगे WII
वन विभाग को जिस कार से चीता शावक की मौत की आशंका है, उसके बंपर और टायर में मिले बालों को जांच के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII), उत्तराखंड भेजा जाएगा। डीएनए जांच के जरिए यह पुष्टि की जाएगी कि ये बाल चीते के हैं या नहीं।
13 वाहनों को नोटिस, जांच तेज
हादसे के समय मौके से गुजरने वाले 13 वाहनों को वन विभाग ने नोटिस जारी किए हैं। इनमें सब्जी ढोने वाले वाहन भी शामिल हैं। सभी वाहनों के टायर और बॉडी की गहन जांच की जा रही है, ताकि चीते का खून, बाल या अन्य जैविक साक्ष्य मिल सकें।
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11 दिसंबर की सुबह हुआ था हादसा
घटना 11 दिसंबर की सुबह करीब साढ़े छह बजे की है, जब ग्वालियर के घाटीगांव क्षेत्र में सड़क पार कर रहे चीता शावक को तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी थी। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। शावक अपनी मां गामिनी के साथ कूनो नेशनल पार्क से निकलकर ग्वालियर जिले की सीमा में पहुंचा था। उस समय चीता ट्रैकिंग टीम भी पीछे मौजूद थी।
वाहन नहीं रुका, पहचान बनी चुनौती
वन विभाग के अनुसार हादसे के समय वाहनों को रोकने की कोशिश की गई थी, लेकिन टक्कर मारने वाला वाहन नहीं रुका। पहले एक स्विफ्ट कार पर संदेह हुआ, जिसे कोटा (राजस्थान) में रोककर जांच की गई, लेकिन वह निर्दोष पाई गई।
फिलहाल जिस वाहन पर सबसे ज्यादा संदेह है, उसका रजिस्ट्रेशन नंबर MP07 CJ 3937 है। यह वाहन एसएएफ में पदस्थ प्रधान आरक्षक स्वर्ण सिंह जादौन के नाम पर पंजीकृत है। हालांकि जादौन का कहना है कि उन्होंने यह कार दो साल पहले बेच दी थी, लेकिन रिकॉर्ड अब भी उनके नाम पर दर्ज है।
कैमरों की कमी से जांच मुश्किल
वन विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती टक्कर मारने वाले वाहन की पुख्ता पहचान करना है। घटनास्थल के आसपास कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है, जिससे जांच और जटिल हो गई है। इसी वजह से 13 संदिग्ध वाहनों के सैंपल WII भेजने का फैसला लिया गया है।
एक चीता अब भी ग्वालियर सीमा में सक्रिय
इधर, कूनो से निकलकर ग्वालियर के तिघरा क्षेत्र में घूम रहे एक अन्य चीते की गतिविधियां गुरुवार को कुछ समय के लिए थम गईं, जिससे ट्रैकिंग टीम की चिंता बढ़ गई। इसके बाद कूनो से डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची। जांच में सामने आया कि चीते ने अधिक भोजन कर लिया था, जिस कारण वह एक ही स्थान पर रुका हुआ था। फिलहाल उसकी स्थिति सामान्य बताई जा रही है।
संदेही कार से बाल के नमूने लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया में जांच के लिए भेजे जा रहे हैं, जिससे यह पता चल सके कि वह बाल चीते के हैं या नहीं। इसके अलावा 12 और वाहनों की जांच जारी है, इनके चालकों को नोटिस दिए गए हैं।
-अंकित पांडेय, डीएफओ, ग्वालियर

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