विश्व कप विजेता खिलाड़ी क्रांति गौड़ को नौकरी देगी सरकार, पिता का निलंबन भी होगा समाप्त, बोले खेल मंत्री सारंग
खेल मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने घोषणा की है कि विश्व कप विजेता खिलाड़ी क्रांति गौड़ को सरकारी नौकरी दी जाएगी। इसके साथ ही उनके पिता का निलंबन भी समाप्त कर दिया जाएगा। मंत्री सारंग ने कहा कि क्रांति गौड़ ने देश का नाम रोशन किया है और सरकार उन्हें हरसंभव सहायता देगी। सरकार खिलाड़ियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

क्रिकेटर क्रांति गौड़ एवं खेल मंत्री विश्वास कैलाश सारंग।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। विश्व कप विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य मध्य प्रदेश की क्रांति गौड़ को राज्य सरकार नौकरी देगी। वहीं, पुलिस विभाग से उनके पिता का निलंबन भी जल्दी समाप्त होगा। यह बात प्रदेश के खेल एवं सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया/नवदुनिया कार्यालय में चर्चा के दौरान दी। क्रांति शुक्रवार को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव से मुलाकात करेंगी। इस दौरान मुख्यमंत्री उनको सम्मानित करेंगे।
सीमित संसाधनों के बावजूद दिखाई प्रतिभा
भारतीय महिला क्रिकेट टीम वनडे विश्वकप में तीसरी बार फाइनल में पहुंची थी। इस बार भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर टीम को पहली बार चैंपियन बनाया है। खेल मंत्री सारंग ने कहा कि क्रांति गौड़ ने अपनी शानदार गेंदबाजी से टीम की जीत में अहम योगदान दिया है। छतरपुर जिले के घुवारा कस्बे की रहने वाली इस लड़की ने सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी प्रतिभा दिखाई है।
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खेल मंत्री ने कहा कि कैबिनेट में क्रांति की शासकीय सेवा के लिए जल्दी ही प्रस्ताव लाया जाएगा। क्रांति के पिता मुन्नालाल सिंह पुलिस विभाग में निलंबित कर्मचारी है। जांच कराई जा रही है, जल्दी ही उनका निलंबन भी खत्म हो जाएगा। बता दें कि क्रांति के पिता पुलिस विभाग में हेड कांस्टेबल थे, जो वर्ष 2011 से निलंबित चल रहे हैं। इस वजह से उनके परिवार को काफी आर्थिक मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा।
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आठवीं पास हैं, पर कैबिनेट चाहे तो सेकेंड क्लास अफसर भी बना दे
क्रांति गौड़ की सरकारी नौकरी के प्रोफाइल में उनकी शैक्षणिक योग्यता आड़े आ सकती है। वजह यह है कि वह केवल आठवीं कक्षा ही पास हैं। हालांकि जानकारों का कहना सरकार चाहे तो उन्हें सेकेंड क्लास अधिकारी बना सकती है। पूर्व मुख्य सचिव शरदचंद्र बेहार ने बताया कि कैबिनेट को अर्हता को शिथिल कर नौकरी देने का विशेषाधिकार है, वह कर भी सकती है। लेकिन ऐसे मामले में कोई पूर्व उदाहरण जानकारी में नहीं है।

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