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    'बेटी बोली थी- जीतकर ही लौटूंगी', वर्ल्ड कप जीतकर क्रांति गौड़ ने किया वादा पूरा, पिता हुए भावुक

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 03:45 PM (IST)

    मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की क्रांति गौड़ ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाकर इतिहास रच दिया। वर्ल्ड कप जीतने के बाद उनके गृहनगर में जश्न मनाया गया। क्रांति के पिता ने कहा कि बेटी ने अपना वादा पूरा किया। पूरे छतरपुर में पूजा-पाठ और आतिशबाजी की गई। क्रांति का संघर्षपूर्ण जीवन दूसरों के लिए भी प्रेरणा है।

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    भारतीय महिला टीम की जीत पर क्रांति गौड के गृहनगर में जश्न और महिला क्रिकेटर क्रांति गौड़।

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। मप्र के छतरपुर जिले में स्थित घुवारा की बेटी क्रांति गौड़ ने वह कर दिखाया जो कभी एक सपना था। गरीबी और संघर्ष की दीवारों को तोड़कर भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाने वाली क्रांति अब विश्व विजेता टीम की अहम सदस्य बन गई हैं। भारत की शानदार जीत के बाद क्रांति के गृहनगर घुवारा में रातभर जश्न का माहौल रहा। आतिशबाजी, मिठाई और गर्व के आंसुओं ने जीत को और खास बना दिया।

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    पिता बोले, बेटी ने अपना वादा निभाया

    जैसे ही भारतीय महिला टीम ने फाइनल में जीत हासिल की, टीवी पर मैच देख रहे क्रांति के पिता मुन्ना लाल गौड़ की आंखों से खुशी के आंसू बह निकले। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, बेटी कहकर गई थी कि वर्ल्ड कप जीतकर ही लौटूंगी... और आज उसने अपना वादा निभा दिया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ उनके परिवार की नहीं, बल्कि पूरे बुंदेलखंड और देश की बेटियों की जीत है।

    घरों से मंदिरों तक मनाया गया जश्न

    क्रांति की जीत के लिए पूरे छतरपुर में पूजा-पाठ और हवन का आयोजन हुआ। संकट मोचन हनुमान मंदिर में सुबह से ही लोग भारत की जीत की कामना में जुटे रहे। जैसे ही रात 12 बजे भारतीय टीम ने फाइनल जीता, आसमान रंगीन आतिशबाजी से गूंज उठा और घुवारा नगर में उत्साहित क्रिकेट प्रेमी खुशी से झूम उठे और "भारत माता की जय" के नारे लगने लगे।

    परिवार ने बड़े स्क्रीन पर देखा ऐतिहासिक पल

    क्रांति गौड़ के घर पर बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी, जहां नगर के लोग और परिवारजन एकजुट होकर मैच देख रहे थे। उनके बड़े भाई मयंक गौड़ मुंबई जाकर स्टेडियम से बहन का प्रदर्शन देख रहे थे, जबकि गांव में हर आंख स्क्रीन पर टिकी थी। जीत के क्षणों में हर किसी की आंखों में खुशी और गर्व के आंसू थे।

    संघर्ष से शिखर तक का सफर

    क्रांति गौड़ का सफर संघर्षों से भरा रहा। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत के दम पर भारतीय टीम में जगह बनाई। आज उनकी यह सफलता न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा की मिसाल बन गई है।