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    Madhya Pradesh: उमा ने 41 ट्वीट कर उजागर की पीड़ा, कहा-गंगा को बचाने के लिए की थी अनुशासनहीनता; इसीलिए बदल दिया विभाग

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Mon, 11 Jul 2022 04:47 PM (IST)

    Madhya Pradesh उमा भारती ने 41 ट्वीट किए और अपनी कई पीड़ा उजागर की। गंगा सफाई अभियान मंत्री होने के दौरान विभाग बदलने की पीड़ा को भी उन्होंने सार्वजनिक किया। मैंने गंगा की अवरलता को बचाने के लिए अनुशासनहीनता की थी यही वजह थी कि उनका विभाग बदल दिया गया।

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    उमा भारती ने 41 ट्वीट कर उजागर की पीड़ा, कहा-गंगा को बचाने के लिए की थी अनुशासनहीनता। फाइल फोटो

    भोपाल, जेएनएन। भाजपा की फायर ब्रांड महिला नेत्री व मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इन दिनों फिर चर्चा में हैं। चर्चा उनके शराबबंदी अभियान को लेकर है। इसी बीच, उन्होंने रविवार रात एक के बाद एक 41 ट्वीट किए और अपनी कई पीड़ा उजागर की। गंगा सफाई अभियान मंत्री होने के दौरान विभाग बदलने की पीड़ा को भी उन्होंने सार्वजनिक किया। उन्होंने कहा कि मैंने गंगा की अवरलता को बचाने के लिए अनुशासनहीनता की थी, यही वजह थी कि उनका विभाग बदल दिया गया था।

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    उमा भारती ने ट्वीट में कही ये बात

    गंगा की अविरलता पर दिया गया मेरे मंत्रालय का एफिडेविट सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के विपरीत था। ऊर्जा, पर्यावरण व मेरे जल संसाधन मंत्रालय की एक कमेटी बनी, जिसमें तीनों को मिलाकर गंगा पर प्रस्तावित पावर प्रोजेक्ट पर एफिडेविट बनाना था। फिर कैबिनेट सेक्रेटरी व पीएमओ की सहमति के बाद हमारे मंत्रालय के माध्यम से वह सुप्रीम कोर्ट में पेश होना था। तीनों मंत्रालयों की गंगा की अविरलता पर सहमति नहीं बन पा रही थी। भारत सहित विश्व के सभी पर्यावरण विशेषज्ञों की राय व अरबों गंगा भक्तों की आस्था दांव पर लगी थी। उन सबकी राय में हिमालय, गंगा व उसकी सहयोगी नदियों पर प्रस्तावित 72 पावर प्रोजेक्ट गंगा, हिमालय व पूरे भारत के पर्यावरण के लिए संकट का विषय थे।

    गंगा की अविरलता तो बच गई

    मैंने तथा मेरे गंगा निष्ठ सहयोगी अधिकारियों ने बिना किसी से परामर्श किए कोर्ट में एफिडेविट प्रस्तुत कर दिया। उस एफिडेविट पर ऊर्जा व पर्यावरण मंत्रालय एवं उत्तराखंड की त्रिवेन्द्र रावत की सरकार ने अपनी असहमति दर्ज की। फिर कोर्ट ने तुरंत केंद्र सरकार से परामर्श करके उस एफिडेविट को अमान्य कर दिया। वह तो आज भी कोर्ट की संपत्ति है और शायद केंद्र की सरकार उसके विपरीत नया एफिडेविट पेश नहीं कर पाई है। स्वाभाविक है कि मैंने अनुशासनहीनता की, मुझे तो मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया जा सकता था, लेकिन गंगा की अविरलता तो बच गई।

    नितिन गडकरी ने गंगा से जोड़े रखा, अमित शाह का भी रहा समर्थन

    अमित शाह जो हमारे उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, वह गंगा की अविरलता के पक्ष में हमेशा रहे। उन्हीं के हस्तक्षेप से मुझे निकाला नहीं गया, किंतु विभाग बदल दिया गया, इतना तो होना ही था। विभाग नितिन गडकरी के पास पहुंचा और उन्होंने मुझे कभी गंगा से अलग नहीं किया। मुझे गंगा से जोड़े रखने की राह वह निकालते रहे, जिस पर अमित शाह का भी समर्थन रहा। अमित शाह अब केंद्र में गृह मंत्री हैं, किंतु तब वह पार्टी के अध्यक्ष थे व उन्हीं की बात मानकर मैंने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था।