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    MP News: पता चल गया कैसे गई बांधवगढ़ में 10 हाथियों की जान, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा

    Updated: Sat, 02 Nov 2024 12:51 AM (IST)

    मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मारे गए 10 हाथियों की मौत की वजह सामने आ गई है। हाथियों की मौत का कारण संक्रमित कोदो-कुटकी फसल खाना बताया जा रहा है। खेत में लगे कोदो-कुटकी में माइकोटाक्सिन (कवक विष) बन गए थे। दरअसल 14 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने हाथियों के पोस्टमार्टम के दौरान पेट में संक्रमित कोदो-कुटकी ही पाया है।

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    जहरीला कोदो-कुटकी खाने से हाथियों की गई जान

    जेएनएन, उमरिया। मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मरने वाले हाथियों की संख्या 10 हो गई है। हाथियों की मौत का कारण संक्रमित कोदो-कुटकी फसल खाना बताया जा रहा है। खेत में लगे कोदो-कुटकी में माइकोटाक्सिन (कवक विष) बन गए थे। दरअसल, 14 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने हाथियों के पोस्टमार्टम के दौरान पेट में संक्रमित कोदो-कुटकी ही पाया है।

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    कोदो-कुटकी की फसल को कराया नष्ट

    जंगल से सटे खेतों में लगे कोदो-कुटकी को वन विभाग ने ट्रैक्टर चला कर नष्ट करा दिया है, ताकि और कोई वन्यजीव उसका सेवन न कर सके। बता दें कि बांधवगढ़ पार्क के खितौली रेंज में 13 हाथियों की जहरीले पदार्थ के सेवन से हालत बिगड़ गई थी। 29 अक्टूबर को चार हाथी मृत पाए गए थे। बाकी अचेत थे।

    30 अक्टूबर को चार और हाथियों की मृत्यु हो गई। दो और हाथियों ने गुरुवार को दम तोड़ दिया। मरने वाले हाथियों में नौ मादा और एक नर है। बाकी तीन में एक हाथी पूरी तरह स्वस्थ हो गया है, बाकी दो की हालत अभी नाजुक बताई जा रही है।

    स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ, जबलपुर की लैब में भेजे गए

    उधर, मृत सभी 10 हाथियों के शवों का पोस्टमार्टम शुक्रवार तक करने के बाद एकत्रित नमूने विश्लेषण के लिए स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ, जबलपुर की लैब में भेजे गए हैं।

    भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) इज्जतनगर (बरेली), भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) देहरादून, राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला सागर, सेंटर फार सेलुलर एंड मालिक्यूलर बायोलाजी (सीसीएमबी) हैदराबाद के विशेषज्ञों से भी परामर्श किया जा रहा है। एसआइटी और एसटीएसएफ की टीमें सभी संभावित पहलुओं पर मामले की जांच कर रही हैं।

    यह होता है माइकोटॉक्सिन

    कृषि विज्ञानी केपी तिवारी के अनुसार, वर्षा के मौसम या उसके बाद मौसम की प्रतिकूलता में कोदो-कुटकी सहित कई फसलों में माइकोटाक्सिन उत्पन्न हो जाता है। इससे संक्रमित फसल के सेवन से पशुओं में संक्रमण हो जाता है। संक्रमण की अधिकता से मौत होने की आशंका रहती है। माइकोटाक्सिन मनुष्यों के लिए भी हानिकारक होता है।

    10 एकड़ खेत में रखी कोदो-कुटकी की फसल खाई थी

    जांच टीम के मुताबिक हाथियों के झुंड ने पिछले दिनों लगभग 10 एकड़ खेत में रखी कोदो-कुटकी की फसल खाई थी। जांच के दौरान पता चला है कि यह फसल, जंगल में रहने वाले किसानों को पिछले कुछ दिन पहले काटकर खेत में रखी थी, जिससे इनमें जहर के लक्षण होने की संभावना बढ़ गई। पेट और अन्य अंगों में मिला माइक्रो टाक्सिक से मौत होना की आशंका जताई थी।