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    सुप्रीम कोर्ट ने दतिया जज से जमानत आदेश की अनदेखी पर मांगा स्पष्टीकरण, जताई कड़ी आपत्ति

    Updated: Wed, 07 May 2025 10:04 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के दतिया के एडीशनल सेशन जज उत्सव चतुर्वेदी से आदेश की अवहेलना पर स्पष्टीकरण मांगा है। गोविंदशरण श्रीवास्तव को जमानत मिलने के बावजूद ट्रायल कोर्ट ने रिहाई में देरी की जिससे वह डेढ़ महीने जेल में रहे। कोर्ट ने जज के रवैये पर नाराजगी जताई और हाई कोर्ट से ट्रेनिंग का अनुरोध किया। मामले की सुनवाई 21 जुलाई को होगी।

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    सुप्रीम कोर्ट ने दतिया के जज उत्सव चतुर्वेदी से आदेश की अवहेलना पर स्पष्टीकरण मांगा।

    माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की अनदेखी करने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए मध्य प्रदेश में दतिया के एक एडीशनल सेशन जज से स्पष्टीकरण मांग लिया है। शीर्ष अदालत ने प्रथम एडीशनल सेशन जज उत्सव चतुर्वेदी से स्पष्टीकरण मांगा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने के लिए उनके खिलाफ क्यों न सख्त रुख अपनाया जाए। इतना ही नहीं सर्वोच्च अदालत ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से संबंधित जज को एक सप्ताह के लिए ट्रेनिंग पर भेजने का अनुरोध किया है ताकि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रति संवेदनशील बने और उस पर अमल करें।

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    मामले में 21 जुलाई को फिर सुनवाई होगी। जिस केस में सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया है उसमें अभियुक्त गोविंदशरण श्रीवास्तव को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिये जाने के बावजूद निचली अदालत से तब तक रिहाई नहीं मिली जबतक कि सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा आदेश नहीं दिया। इसलिए जमानत मिलने के बावजूद वह करीब डेढ़ महीने तक जेल में रहा।

    'सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सही ढंग से नहीं समझ रहे'

    सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने दो मई को गोविंदशरण श्रीवास्तव के वकील जसबीर सिंह मलिक की दलीलें सुनने के बाद तब ये आदेश जारी किए जब कोर्ट को पता चला कि जज उत्सव चतुर्वेदी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अभियुक्त की रिहाई के लिए शर्तें लगा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सही ढंग से नहीं समझ रहे हैं।

    जुर्माने के भुगतान की शर्त लगा दी

    सुप्रीम कोर्ट ने जज उत्सव चतुर्वेदी के रवैये पर नाराजगी जताते हुए आदेश में कहा है कि यह न सिर्फ अनोखा बल्कि चौकाने वाला मामला है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 24 जनवरी 2025 को याचिकाकर्ता (गोविंदशरण श्रीवास्तव) को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था हालांकि कहा था कि ट्रायल कोर्ट की लगाई शर्तों पर रिहाई होगी। इस आदेश के बाद जब अभियुक्त जमानत पर रिहाई के लिए ट्रायल कोर्ट पहुंचा तो ट्रायल कोर्ट ने रिहाई के लिए सजा के साथ लगाए गए जुर्माने के भुगतान की शर्त लगा दी जबकि सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील लंबित थी और विचारार्थ स्वीकार की जा चुकी थी। जब रिहाई नहीं मिली तो गोविंदशरण ने फिर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी और ट्रायल कोर्ट की शर्त के बारे में बताया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सात मार्च को फिर से आदेश दिया और गोविंदशरण को 25000 के मुचलके और इतनी राशि के दो जमानती पेश करने पर रिहा करने का आदेश दिया।

    जज उत्सव चतुर्वेदी के रवैये पर गहरी नाराजगी

    ट्रायल कोर्ट के जज उत्सव चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट के इस नये आदेश को देखकर कहा कि यह पहले के आदेश के अनुक्रम में ही है, उसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा जोड़ी गई शर्त को न हटाया गया है और न ही निलंबित किया गया है। जब ट्रायल कोर्ट एक के बाद एक आदेश देता रहा और स्पष्टीकरण मांगा तो फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी आदेशों के देखते हुए जज उत्सव चतुर्वेदी के रवैये पर गहरी नाराजगी जताई।

    कोर्ट ने कहा कि आदेशों को देखने से साफ होता है कि ट्रायल कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं समझ पा रहा है। वास्तव में तो ये स्पष्ट तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी है। यहां तक कि ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में जो भाषा इस्तेमाल की है वह भी आपत्तिजनक है। इस मामले में गोविंदशरण को एक केस में सजा हुई थी और अपील हाई कोर्ट में लंबित थी। उसने अपील लंबित रहने के दौरान जमानत मांगी लेकिन हाई कोर्ट ने जमानत नहीं दी जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट आया था।

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