Madhya Pradesh: कचरा सेग्रीगेशन के लिए तैयार किया रोबोट, जानें-कैसे करता है काम
Madhya Pradesh मध्य प्रदेश में ग्वालियर की आकांक्षी का सिस्टम कचरे का सेग्रीगेशन करता है। आकांक्षी ने बताया कि उनके स्टार्टअप का नाम वर्क ए-फाय है जिसे ट्रिपलआइटी श्रीसिटी आंध्र प्रदेश से सात लाख रुपये की ग्रांट भी मिल चुकी है।
ग्वालियर, अजय उपाध्याय। स्वच्छ भारत मिशन के लिए सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। इस काम में युवा भी अपने-अपने नवाचारों से सहयोग कर रहे हैं। कचरा मुक्त शहर में सबसे बड़ी समस्या कचरे के सेग्रीगेशन (गीला-सूखा कचरा अलग-अलग करना) की आती है। इस कार्य को आसान बनाने के लिए ग्वालियर की आकांक्षी वैश्य ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के माध्यम से रोबोटिक सिस्टम तैयार किया है।
कचरा सेग्रीगेशन
चेन्नई के एसआरएम इंस्टीट्यूट से बीटेक की पढ़ाई कर चुकी आकांक्षी का सिस्टम कचरे का सेग्रीगेशन करता है। आकांक्षी ने बताया कि उनके स्टार्टअप का नाम वर्क ए-फाय है, जिसे ट्रिपलआइटी श्रीसिटी आंध्र प्रदेश से सात लाख रुपये की ग्रांट भी मिल चुकी है। उन्होंने हाल ही में इसका एक माडल जमशेदपुर नगर निगम में कचरा निष्पादन का काम कर रही टाटा की जेस्को कंपनी को उपलब्ध कराया है। रोबोटिक सिस्टम को तैयार करने में 12 से 15 लाख रुपये का खर्च आता है। इस सिस्टम में दो रोबोट और मशीन तैयार की जाती है। जब कचरा उस मशीन से होकर गुजरता है तो रोबोट कचरे में शामिल तत्वों को अलग अलग करता है और डस्टबिन में डालता है। इस सिस्टम को तैयार करने में करीब तीन महीने का वक्त लगता है।
रोबोटिक सिस्टम
सिस्टम तैयार करने वाली आकांक्षी कहती हैं कि घर से गीला व सूखा कचरा निकलता है। लाख कोशिशों के बावजूद संग्रहण, परिवहन और निष्पादन प्लांट तक पहुंचते-पहुंचते यह मिक्स हो जाता है। सूखे कचरे में घर की धूल, मिट्टी, कागज, प्लास्टिक, कांच, लोहा, रैपर, बोतल आदि कचरा शामिल होता है। कचरा सेग्रीगेट होने पर उसे री-यूज, री-साइकिल किया जा सकता है। उनका रोबोटिक सिस्टम कचरा छांटने का काम आसानी से कर लेता है।
सिस्टम इस तरह से करता है काम
आकांक्षी बताती हैं कि सूखे कचरे को एक कन्वेयर बेल्ट से होकर गुजारा जाता है। बेल्ट पर कुछ-कुछ दूरी पर प्रोग्रामिंग फीड करके रोबोट लगाए जाते हैं। यह रोबोट इनमें से कचरे के अलग-अलग तत्वों को पहचानते हैं और उसे अलग-अलग करके डस्टबिन में डालते हैं। बाद में इन डस्टबिन से कचरे को निकालकर उपयोग किया जाता है। गीले कचरे से खाद तैयार की जाती है।