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    मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग की फर्जी वेबसाइट बनाकर भर्तियों का फर्जीवाड़ा, सवा दो साल बाद एफआइआर

    Updated: Sun, 02 Mar 2025 03:00 AM (IST)

    मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग की फर्जी वेबसाइट बनाकर शिक्षक भर्ती के नाम पर वर्ष 2022 में फर्जीवाड़ा किया गया था। इसमें भोपाल क्राइम ब्रांच ने सवा दो वर्ष बाद अब एफआइआर दर्ज की है। ठगों ने समग्र शिक्षा अभियान के नाम पर 67 हजार 854 पदों पर शिक्षकों की अलग-अलग भर्ती निकालकर प्रत्येक आवेदनकर्ता से 990 रुपये वसूले थे।

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    मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग की फर्जी वेबसाइट बनाकर भर्तियों का फर्जीवाड़ा (सांकेतिक तस्वीर)

    जेएनएन, भोपाल। मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग की फर्जी वेबसाइट बनाकर शिक्षक भर्ती के नाम पर वर्ष 2022 में फर्जीवाड़ा किया गया था। इसमें भोपाल क्राइम ब्रांच ने सवा दो वर्ष बाद अब एफआइआर दर्ज की है।

    ठगी की रकम 99 लाख रुपयों तक होने का अनुमान

    ठगों ने समग्र शिक्षा अभियान के नाम पर 67 हजार 854 पदों पर शिक्षकों की अलग-अलग भर्ती निकालकर प्रत्येक आवेदनकर्ता से 990 रुपये वसूले थे। एक महीने चली आवेदन प्रक्रिया में करीब 10 हजार लोगों के आवेदन की संभावना जताई गई। इस तरह ठगीकी रकम 99 लाख रुपयों तक होने का अनुमान है।

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    एक फर्जी वेबसाइट बनाई

    सामने आया कि वर्ष 2022 में ठगों ने समग्र शिक्षा अभियान डॉट ऑनलाइन नाम से एक फर्जी वेबसाइट बनाई थी। इस वेबसाइट पर शिक्षकों के कुल 67 हजार 854 पदों पर भर्ती का उल्लेख था। इनमें प्राथमिक शिक्षक, कम्प्यूटर शिक्षक और कार्यालय स्टाफ के पद रिक्त बताए गए थे।

    फर्जीवाड़ा करने वालों ने बिल्कुल सरकारी प्रक्रिया की तरह ही पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया। मध्य प्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय को इसकी जानकारी तब लगी, जब आवेदन करने वाले एक व्यक्ति ने भर्ती परीक्षा की जानकारी के लिए संचालनालय से संपर्क किया। संचालनालय के अधिकारियों ने पहले अपने स्तर पर इसकी जांच की।

    शिकायत राज्य साइबर सेल में की

    फर्जीवाड़े की पुष्टि हो जाने पर संचालनालय के तत्कालीन संचालक अभय वर्मा ने नवंबर 2022 के अंत में इसकी शिकायत राज्य साइबर सेल में की। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए वह वेबसाइट तो बंद करा दी, लेकिन ठगों का पता लगाने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई। एक साल पहले साइबर सेल ने यह प्रकरण भोपाल क्राइम ब्रांच के हवाले कर दिया था।

    पुलिस ठगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही

    भोपाल क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि प्रकरण में यूपीआइ कंपनी, वाट्सएप और गूगल से जानकारी मांगी गई थी। वहां से जानकारी मिलने में विलंब हुआ। अब जो जानकारी मिली है, उसमें तीन मोबाइल नंबरों का पता चला है। ये नंबर उस वेबसाइट के पंजीयन से जुड़े हुए थे। अब इनके जरिए पुलिस ठगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।