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    Madhya Pradesh: होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा की पढ़ाई भी हिंदी में करवाने की तैयारी

    By Jagran NewsEdited By: MOHAMMAD AQIB KHAN
    Updated: Thu, 20 Oct 2022 01:48 AM (IST)

    Madhya Pradesh एमबीबीएस प्रथम वर्ष में हिंदी में पढ़ाई शुरू होने के बाद अब आयुर्वेद होम्योपैथी और यूनानी (आयुष) में भी इसे लागू करने की तैयारी है। आयुष राज्यमंत्री राम किशोर कावरे इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।

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    Madhya Pradesh: होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा की पढ़ाई भी हिंदी में करवाने की तैयारी : जागरण

    भोपाल, राज्य ब्यूरो: एमबीबीएस प्रथम वर्ष में हिंदी में पढ़ाई शुरू होने के बाद अब आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी (आयुष) में भी इसे लागू करने की तैयारी है। आयुष राज्यमंत्री राम किशोर कावरे इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में जल्द ही वे प्रस्ताव के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करेंगे।

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    इसके बाद अलग-अलग समितियां बनाकर पुस्तकें तैयार करने का काम शुरू किया जाएगा। यूनानी चिकित्सा शिक्षा में अभी उर्दू, अरबी में किताबें चल रही हैं। इनके संदर्भ ग्रंथ फारसी में हैं। कुछ पुस्तकें अंग्रेजी भाषा में हैं। इसी तरह से होम्यापैथी की सभी किताबें अंग्रेजी में हैं।

    आयुर्वेद में हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में पढ़ाई कराई जा रही है। आयुर्वेद की कुछ किताबों का संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद हो गया है। अब उनका हिंदी अनुवाद करवाया जाएगा। केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डा. एके द्विवेदी एनाटामी की हिंदी में पुस्तक भी लिख चुके हैं। वह लंबे से समय से होम्योपैथी की हिंदी में शिक्षा के लिए प्रयास कर रहे हैं।

    हिंदी में लिखने से सुधरा था परीक्षा परिणाम

    मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. आरएस शर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 में विश्वविद्यालय ने हिंदी में उत्तर लिखने की सुविधा शुरू की तो होम्योपैथी में स्नातक पाठ्यक्रम का रिजल्ट 18 से बढ़कर 40 प्रतिशत पहुंच गया था। दरअसल, आयुष में प्रवेश लेने वाले करीब आधे विद्यार्थी हिंदी माध्यम वाले होते हैं। ऐसे में उनके लिए अंग्रेजी की पुस्तकों से समझने में मुश्किल होती है। समझ भी लिया तो वह परीक्षा में अच्छे से अभिव्यक्त नहीं कर पाते।

    इस संबंध विद्यार्थियों ने कहा कि जो तकनीकी शब्द हैं वह प्रचलित भाषा में ही होना चाहिए, नहीं तो पढ़ाई और शोध में दिक्कत आएगी। उदाहरण के तौर यूनानी की पुस्तकों में चिकित्सकीय शब्द फारसी के उपयोग किए जाते हैं। इस संबंध में होम्योपैथी कालेज के एक प्राध्यापक ने कहा कि जो शब्द ग्रीक भाषा में हैं उनसे छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।

    मैं इस संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा करूंगा। उनकी सहमति मिलने पर इस दिशा में काम शुरू कर दिया जाएगा। इससे विद्यार्थियों को काफी लाभ होगा। -राम किशोर कावरे, आयुष मंत्री, मध्य प्रदेश

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