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Madhya Pradesh High Court : मप्र हाइ कोर्ट ने मौत की सजा को 35 साल के कठोर कारावास में बदला

नरसिंहपुर जिले में छह वर्षीय मासूम बच्ची से दुष्‍कर्म व हत्या के आरोपित की फांसी की सजा को कोर्ट ने 35 साल के कठोर कारावास में बदल दिया है। हाईकोर्ट ने अपने अवलोकन में कहा कि यह मामला दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 09 Sep 2022 12:43 PM (IST)Updated: Fri, 09 Sep 2022 12:43 PM (IST)
Madhya Pradesh High Court : मप्र हाइ कोर्ट ने मौत की सजा को 35 साल के कठोर कारावास में बदला
High Court of Madhya Pradesh: मौत की सजा को 35 साल के कठोर कारावास में तब्‍दील कर दिया है।

जबलपुर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (MP High Court) ने नरसिंहपुर जिले में छह वर्षीय मासूम बच्ची से दुष्‍कर्म व हत्या के मामले में सत्र अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को 35 साल के कठोर कारावास में तब्‍दील कर दिया है। न्यायमूर्ति सुजय पाल और न्यायमूर्ति पीसी गुप्ता की पीठ ने आनंद कोल की अपील पर सुनवाई के बाद संशोधित सजा सुनायी।

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हाईकोर्ट ने अपने अवलोकन में कहा कि यह मामला दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए नरसिंहपुर सत्र न्यायालय के आदेश में संशोधन किया जाता है। अधिवक्ता अभय गुप्ता ने आरोपित की तरफ से पक्ष रखा।

जानें क्‍या है मामला

अभियोजन पक्ष के अनुसार पीड़िता की मां ने पुलिस चौकी बर्मन में 23 नवंबर 2019 को अपनी छह साल की बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर गुमशुदगी का मामला कायम हुआ।

मिडली तोरिया गांव में बने गोदाम में उसके अगले दिन यानी 24 नवंबर को बच्ची का शव मिला था। मेडिकल जांच में आरोपी के साथ दुष्‍कर्म व हत्या की पुष्टि हुई।

इसे लेकर सुआताला थाने में मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने मामले की जांच के बाद आनंद कोल को इस मामले में आरोपी बनाया था।

सत्र अदालत ने दोहरी मौत की सजा सुनाई थी

सत्र अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी आनंद कोल को सभी धाराओं में दोषी माना। 17 मार्च, 2020 को आरोपित को हत्या का दोषी ठहराते हुए और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दोहरी मौत की सजा सुनाई गई थी।

आरोपित ने इस फैसले के खिलाफ ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जबकि उच्च न्यायालय को राज्य सरकार ने सत्र न्यायालय के निर्णय की पुष्टि करने के लिए लिया था।

बचाव पक्ष में आरोपित की ओर से प्रथम अपराध व कम उम्र की दलीलें पेश की गईं। उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद दोहरी मौत की सजा, मौत की सजा को 35 साल के कठोर कारावास में संशोधित किया।

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