Indore Crime News: फर्जी एसडीएम नीलम पाराशर गिरफ्तार, नौकरी दिलाने के नाम पर 100 लोगों को ठगा
फर्जी एसडीएम नीलम पाराशर (Neelam Parashar) ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल (Mangu Bhai Patel) के जाली हस्ताक्षर कर नियुक्ति आदेश बनाए थे। क्राइम ब्रांच ने नीलम को गिरफ्तार कर लिया है। देपालपुर एसडीएम बन नीलम अब तक 100 लोगों से ठगी कर चुकी है।

इंदौर, जागरण आनलाइन डेस्क। फर्जी एसडीएम नीलम पाराशर को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। नीलम ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल के जाली हस्ताक्षर कर नियुक्ति आदेश बनाए थे। नीलम ने देपालपुर एसडीएम बनकर 100 लोगों को ठगा है। उसने महिला एवं बाल विकास विभाग, नगर निगम, कलेक्टर कार्यालय और पीएडब्ल्यूडी के कई लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किए हैं।
डीसीपी (क्राइम) निमिश अग्रवाल के अनुसार योगेश पुत्र पुरुषोत्तम मालवीय (ऋषिनगर) की शिकायत पर शिखरजीनगर निवासी नीलम अनिरुद्ध पाराशर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उसने सियागंज में खजांची का काम करने वाले योगेश को कलेक्टर कार्यालय में गार्ड की नौकरी का झांसा देकर 2 लाख रुपए लिए थे।
खाकी वर्दी और फर्जी पहचान पत्र
नीलम ने इंदौर के जिलाधिकारी के हस्ताक्षर से योगेश को नियुक्ति पत्र सौंपा और कहा कि उन्हें अपर कलेक्टर अजय देव शर्मा का गार्ड नियुक्त किया गया है। नीलम ने कलेक्टर कार्यालय से जारी एक खाकी वर्दी और फर्जी पहचान पत्र भी सौंपा।
दो माह तक खाते में दस हजार रुपये प्रतिमाह की दर से जमा करवाती रही और बाद में बीमार होने का बहाना बनाकर अपर कलेक्टर से बचने लगी। इसी बीच साड़ी कारोबारी प्रमिला (आशु साड़ी) ने क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई और नीलम को गुरुवार सुबह पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
हूटर वाली कार में बैठ झाड़ती थी रौब
डीसीपी ने बताया कि नीलम धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलती है। वह एक प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहती थी, लेकिन पीएससी में असफल रही। अधिकारी को झाड़ने के लिए एक निजी ड्राइवर और एक बंदूकधारी रखें और हूटर वाली कार में रौब झाड़ने लगी। पुलिस नीलम के गनमैन सोहित मोरछले के साथ महेंद्र और राजेश की तलाश कर रही है।
लगातार कर रही थी बहानेबाजी
नीलम को योगेश कलेक्टर कार्यालय में मिला था। उसके हाथ में एक फाइल थी, नीलम ने उसे बताया कि वह देपालपुर एसडीएम है। उसने योगेश को सरकारी नौकरी का आफर देते हुए 2 लाख रुपए देने की मांग की। कलेक्टर कार्यालय में उसने 8 जनवरी को रुपए लाने को कहा।
योगेश को 17 जनवरी को नियुक्ति आदेश थमा दिया गया। नीलम ने कहा कि अपर कलेक्टर कोरोना संक्रमित हो गए हैं। वो कभी चुनाव का बहाना बनाती तो कभी बैठकों और दौरों में व्यस्त होने को कहती थी।
क्राइम ब्रांच पहुंचे योगेश
नीलम की गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही योगेश क्राइम ब्रांच पहुंचे और फर्जी यूनिफॉर्म, अपॉइंटमेंट लेटर, आईडी कार्ड और कॉल रिकॉर्डिंग जमा करा दी। पूछताछ में सामने आया कि नीलम ने महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाइजर व नोडल अधिकारी के नाम से सात लाख 50 हजार रुपये की ठगी की है।
नीलम ने कुछ दिन पहले साड़ी कारोबारी प्रमिला से 74 हजार रुपये की साड़ी भी खरीदी थी। पैसे मांगने पर उसने प्रमिला को धमकाया और बिना पैसे दिए चली गई। इसके बाद ये मामला क्राइम ब्रांच तक पहुंच गया और कलेक्टर कार्यालय से इस संबंध में जानकारी मांगी गई।
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