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    MP News: 'सार्थक' एप पर हाजिरी में फर्जीवाड़ा; अंधेरे में, बिस्तर पर और घर बैठे लगाई जा रही डॉक्टरों की उपस्थिति

    By Shashikant TiwariEdited By: Ravindra Soni
    Updated: Wed, 24 Dec 2025 03:37 PM (IST)

    मध्य प्रदेश में 'सार्थक' एप पर डॉक्टरों की हाजिरी में फर्जीवाड़ा सामने आया है। कई डॉक्टर अंधेरे में, बिस्तर पर और घर बैठे ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा रह ...और पढ़ें

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    सार्थक एप के जरिए लगा रहे हाजिरी। (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत एमबीबीएस बांडेड (अनुबंधित) डॉक्टरों द्वारा उपस्थिति दर्ज करने में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। अस्पताल परिसर से लाइव उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए ‘सार्थक’ एप का दुरुपयोग करते हुए कई डॉक्टर मोबाइल में सेव फोटो और वीडियो से हाजिरी लगा रहे हैं। स्वास्थ्य संचालनालय की जांच में यह चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

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    घर बैठे लग रही हाजिरी, मर्यादा भी तार-तार

    जांच में सामने आया है कि कुछ डॉक्टरों ने असहज और अनुचित परिस्थितियों में उपस्थिति दर्ज की। किसी ने बिस्तर पर लेटे हुए हाजिरी लगाई, तो कुछ ने कम रोशनी में पहचान छुपाने की कोशिश की। यहां तक कि ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें एक व्यक्ति द्वारा दो अलग-अलग डॉक्टरों की उपस्थिति दर्ज की गई। रिपोर्ट बताती है कि 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में डॉक्टर दूसरे मोबाइल पर अपनी फोटो दिखाकर एप में उपस्थिति दर्ज कर रहे थे।

    एक हजार से अधिक डॉक्टरों पर संदेह

    प्रदेश में कुल 3500 बांडेड डॉक्टर पदस्थ हैं, जिनमें से करीब 30 प्रतिशत यानी एक हजार से अधिक डॉक्टरों द्वारा फर्जी उपस्थिति दर्ज कराने की आशंका जताई गई है। यह स्थिति पिछले एक साल से अधिक समय से बनी हुई है, लेकिन अब तक न तो एफआईआर दर्ज की गई और न ही कोई ठोस अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।

    निगरानी में बड़ी चूक, अधिकारी भी सवालों के घेरे में

    फर्जीवाड़े की सबसे बड़ी वजह संस्था प्रमुखों और नोडल अधिकारियों की लापरवाही मानी जा रही है। अस्पताल प्रमुखों के साथ-साथ सीएमएचओ और सिविल सर्जन स्तर पर भी निगरानी की कमी उजागर हुई है। अधिकतर संदिग्ध मामले आदिवासी और पिछड़े जिलों (धार, खंडवा और खरगोन) से सामने आए हैं। हालांकि, भोपाल और इंदौर जैसे बड़े जिलों में भी ऐसी शिकायतें मिली हैं।

    डीआरपी डॉक्टर भी शामिल

    केवल बांडेड डॉक्टर ही नहीं, बल्कि डिस्ट्रिक्ट रेजीडेंसी प्रोग्राम (डीआरपी) के तहत जिला अस्पतालों में तीन माह के प्रशिक्षण पर आए एमडी-एमएस डॉक्टरों द्वारा भी इसी तरह की फर्जी उपस्थिति दर्ज कराने के मामले सामने आए हैं।

    ऐसे मामले भी आए सामने

    खंडवा के एक डॉक्टर ने बिस्तर पर लेटे हुए लाइव उपस्थिति लगाई। शिवपुरी, बालाघाट और नरसिंहपुर के एक-एक डॉक्टर ने बनियान या उसके बिना ही लाइव उपस्थिति लगा दी। कुछ ने धुंधले प्रकाश में हाजिरी लगाई, जिससे पहचाना नहीं जा सके। एप की रिपोर्ट में साफ दिख रहा है कि 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में डॉक्टर दूसरे मोबाइल में अपनी फोटो दिखाते हुए उपस्थिति लगा रहे हैं, जिससे पता चले कि यह अस्पताल परिसर का ही है। अब विभाग एप में उन कमियों को दूर कर रहा है, जिनका दुरुपयोग डॉक्टर व अन्य कर्मचारी कर रहे हैं।

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    स्वास्थ्य संचालनालय का एक्शन

    स्वास्थ्य संचालनालय ने संबंधित जिलों के सीएमएचओ को कार्रवाई के लिए पत्र जारी किया है। साथ ही, ‘सार्थक’ एप में मौजूद तकनीकी खामियों को दूर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, ताकि भविष्य में इस तरह के दुरुपयोग पर रोक लगाई जा सके।

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    मानदेय बढ़ाने की बात, पर अनुशासन पर सवाल

    हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के दौरान बांडेड डॉक्टरों को नियमित डॉक्टरों के समान मानदेय देने की बात कही थी। वर्तमान में एमबीबीएस बांडेड डॉक्टरों को 55 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है। ऐसे में उपस्थिति में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अनुशासन और जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

    सार्थक एप का डाटा निकालकर परीक्षण किया गया है। फर्जीवाड़ा करने वाले डॉक्टरों की सूची संबंधित जिलों के सीएमएचओ को भेजकर उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। साथ ही व्यवस्थाओं को और दुरुस्त कर रहे हैं, जिससे गड़बड़ी नहीं होने पाए।
    -तरुण राठी, आयुक्त, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा