Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    MP HIGH COURT: दुष्कर्म के बाद बच्ची को जिंदा छोड़ दिया, हाईकोर्ट ने इसलिए कम कर दी आरोपी की सज़ा

    By Jagran NewsEdited By: Mohammed Ammar
    Updated: Sun, 23 Oct 2022 01:18 AM (IST)

    MP HIGH COURT कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि 4 साल की आयु की बालिका से यौन अपराध के मामले में इस न्यायालय को यह उपयुक्त मामला नहीं लगता जहां सजा को उसके द्वारा पहले से ही दी गई सजा तक कम किया जा सकता है।

    Hero Image
    आरोपी को चार साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत दोषी ठहराया।

    भोपाल, एजेंसी। मध्य प्रदेश में हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को लेकर एक ऐसी टिप्पणी की है जो चर्चा में है। मालूम हो कि हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने दुष्कर्म के दोषी की सजा को भी कम कर दिया। कोर्ट ने सजा को घटाकर 20 साल करते हुए कहा कि उसने दुष्कर्म के बाद बच्ची को जिंदा छोड़ दिया काफी ''दयालु'' था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Rewa Bus Accident: मप्र के रीवा में ट्रेलर से टकराई बस, उत्तर प्रदेश के 15 लोगों की मौत

    अपनी टिप्पणी में क्या कहा कोर्ट ने?

    हाईकोर्ट के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर और जस्टिस एसके सिंह ने दोषी की सजा को कम करते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में इस न्यायालय को ट्रायल कोर्ट द्वारा साक्ष्य की सराहना करने और अपीलकर्ता के राक्षसी कृत्य पर विचार करने में कोई त्रुटि नहीं मिलती। जो महिला की गरिमा के लिए कोई सम्मान नहीं है।

    कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि 4 साल की आयु की बालिका से यौन अपराध के मामले में इस न्यायालय को यह उपयुक्त मामला नहीं लगता, जहां सजा को उसके द्वारा पहले से ही दी गई सजा तक कम किया जा सकता है। हालांकि, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि वह पीड़ित पक्ष को जीवित छोड़ने के लिए पर्याप्त दयालु रहा। अदालत की यह राय है कि आजीवन कारावास को 20 साल के कठोर कारावास से कम किया जा सकता है।

    मामले में क्या हैं तथ्य?

    इस मामले के तथ्य यह हैं कि अपीलकर्ता को आरोपी बनाया गया। आरोपी को बाद में चार साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत दोषी ठहराया गया।

    अपीलकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया। उसने कोर्ट को यह भी बताया कि पीड़िता द्वारा एफएसएल रिपोर्ट को रिकॉर्ड में नहीं लाया गया। उसने यह भी तर्क दिया कि यह ऐसा मामला नहीं जिसमें वह आजीवन कारावास की सजा काटे। जबकि वह पहले ही जेल में सजा बिता चुका है।

    यह भी पढ़ें- Bhopal Crime: भाई-भाभी ने किया सुसाइड तो डिप्रेशन में चली गई बहन, चूहामार दवा खाकर दे दी अपनी जान