Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'ये क्या ऊंट जैसा राज्य बना दिया...', मध्यप्रदेश का नक्शा देख नेहरू ने कही ये बात, भोपाल को बनाया राजधानी तो जबलपुर में क्यों नहीं मनी दिवाली?

    By Deepti MishraEdited By: Deepti Mishra
    Updated: Tue, 31 Oct 2023 01:53 PM (IST)

    देश का दिल मध्‍यप्रदेश 1 नवंबर 2023 यानी कल अपना 68वां स्‍थापना दिवस मनाने की तैयारी में है। गठन से लेकर आज तक राज्‍य का सफर खासा उतार-चढ़ाव भरा रहा। राज्‍य ने भयंकर गैस त्रासदी और हरसूद कस्‍बे को डूबते देखा तो गौरवान्वित करने वाले क्षण का साक्षी भी रहा। मध्‍यप्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच राज्‍य के स्‍थापना दिवस पर पढ़िए इसके गठन और भोपाल के राजधानी बनने की कहानी...

    Hero Image
    Madhya Pradesh 68th Foundation Day:मध्‍यप्रदेश के गठन और भोपाल के राजधानी बनने की दिलचस्‍प कहानी।

    ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्‍ली। Madhya Pradesh 68th Foundation Day: 1 नवंबर, 1956... वह तारीख थी जिस दिन मध्‍यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया था। चार राज्यों को मिलाकर बनाए गए इस सूबे की राजधानी किस शहर को बनाई जाए इस पर काफी दिनों तक रस्साकसी चली। जब नवाबी रियासत को राजधानी के लिए चुना गया तो संस्कारधानी में नहीं मनाई गई थी दिवाली।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देश का दिल मध्‍यप्रदेश 1 नवंबर को अपना स्थापना दिवस मनाता है। इस साल यह इसका 68वां स्‍थापना दिवस है। गठन से लेकर अब तक राज्‍य का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। इसने भयंकर गैस त्रासदी और हरसूद को डूबते हुए देखा। इसके इतिहास में कई गौरवान्वित करने वाले क्षण भी दर्ज हैं।

    राज्‍य के स्‍थापना दिवस पर पढ़िए इसके गठन और भोपाल के राजधानी बनने की रोचक कहानी...

    मध्यप्रदेश का जन्‍म अपने आप में एक संयोग है। यहां रहने वालों ने कभी किसी ऐसे राज्य की मांग नहीं की थी। इस कहानी की शुरुआत 71 साल देश की आजादी के बाद हुई थी। कांग्रेस भाषायी आधार पर राज्‍य बनाने के अपने 1920 के वादे को ठंडे बस्ते में डाल चुकी थी।

    दिसंबर 1952 में आंध्र प्रदेश (मद्रास प्रेसिडेंसी) में एक घटना घटी, जिसने उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के जज सर सैयद फजल अली को एक्‍शन लेने पर मजबूर कर दिया। आंध्रप्रदेश में श्रीरामालु नाम का एक व्यक्ति तेलुगू भाषी राज्य की मांग को लेकर भूख हड़ताल करते हुए मर गया। इसके बाद आज का आंध्र प्रदेश बना। बस फिर क्या था देश के बाकी इलाके भी भाषायी आधार पर राज्य की मांग करने लगे।

    सुप्रीम कोर्ट के जज ने साल 1955 में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया। आयोग के सदस्यों ने 38000 मील लंबी यात्रा कर 267 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट में भाषायी आधार पर 16 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सिफारिश की गई।

    ऐसे हुआ मध्यप्रदेश का जन्‍म

    नए बनने वाले गैर-हिंदी राज्‍यों के हिंदी भाषी जिले और तहसीलें बची थीं। उनके साथ मध्यभारत के महाकौशल, भोपाल और विंध्य प्रदेश को मिलाकर एक नया राज्य बना दिया गया, जिसका नाम मध्‍यप्रदेश रखा गया। इस तरह 1 नवंबर, 1956 को मध्यप्रदेश का जन्म हुआ।

    नक्शा देख नेहरू का रिएक्‍शन

    आजादी के बाद का समय था और पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। जब उन्होंने राज्य का नक्शा देखा तो बोले, 'यह क्‍या ऊंट की तरह दिखने वाला राज्‍य बना दिया।'

    कैसे भोपाल बना राजधानी?

    नया-नवेला राज्‍य बनते ही राजधानी को लेकर जद्दोजहद शुरू हुई। ग्वालियर और इंदौर देश के बड़े नगर थे, इसलिए दावेदारी में सबसे आगे थे। रविशंकर शुक्ल (राज्य के पहले सीएम) की इच्छा रायपुर थी। इन सबके बीच जबलपुर की दावेदारी भी तेज थी। आयोग ने भी जबलपुर के नाम का ही प्रस्ताव दिया। इस बीच, नेहरू के भोपाल प्रेम और सरदार पटेल की रणनीति के चलते भोपाल शहर को राजधानी बना दिया गया।

    बताया जाता है कि भोपाल को राजधानी बनाने के दो कारण थे। पहला- उन दिनों भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खां की गतिविधियां बेहद संदिग्ध थीं, ऐसे में भोपाल पर नजर रखने के लिए इसे राजधानी बनाया गया था।

    दूसरा- एक अखबार में खबर छपी, जिसमें कहा गया कि सेठ गोविंददास ने जबलपुर-नागपुर रोड पर सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद ली है। जब जबलपुर राजधानी बनेगा तो सेठ परिवार को मोटा मुनाफा मिलेगा। यह परिवार जबलपुर को राजधानी बनाने की पैरवी भी कर रहा था।

    जबलपुर में नहीं मनी थी दीवाली

    जब मात्र 50 हजार की आबादी वाले शहर भोपाल को राजधानी बना दिया गया तो जबलपुर से एक प्रतिनिधिमंडल जवाहर लाल नेहरू, मौलाना आजाद, लाल बहादुर शास्‍त्री और गोविंद वल्‍लभ पंत से मिलने दिल्‍ली पहुंचा। लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।

    बताया जाता है कि एक-दो घरों को छोड़ दिया जाए तो जबलपुर ने उस साल दिवाली नहीं मनाई थी। पूरा शहर अंधेरे में डूबा रहा था, किसी ने रोशनी नहीं की थी। उन्हीं दिनों विनोबा भावे ने जबलपुर को सांत्वना स्वरूप संस्कारधानी की उपमा दी थी।

    यह भी पढ़ें - MP Assembly election 2023: कहानी उस राजा की, जो राजमाता के कहने पर CM की कुर्सी पर बैठे, फिर 13वें दिन दे दिया इस्‍तीफा

    यह भी पढ़ें - MP Assembly election 2023: कहानी उस सीएम की, जिसने नेहरू के ऑफर को ठुकराया; कहा कि पहले बाप के नाम पर लगा कलंक हटाऊंगा

    (सोर्स: राज्‍य पुर्नगठन आयोग रिपोर्ट और राजनीतिनाम मध्‍यप्रदेश)

    comedy show banner
    comedy show banner