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    Navratri 2022: मां कंकाली की 45 डिग्री झुकी गर्दन खुद हो जाती है सीधी, नवरात्र में होता है ये चमत्‍कार

    By JagranEdited By: Babita Kashyap
    Updated: Thu, 29 Sep 2022 07:47 AM (IST)

    Navratri 2022 भोपाल में स्थित मां कंकाली मंदिर में स्‍थापित मां काली की मूर्ति की गर्दन आमतौर पर 45 डिग्री तक झुकी रहती है लेकिन नवरात्र के दिनों में गर्दन सीधी हो जाती है। इस चमत्‍कार को देखने के लिए काफी संख्‍या में लोग यहां आते हैं।

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    Navratri 2022: रायसेन रोड के पास स्थित कंकाली मंदिर में भक्तों की अपार आस्था है

    भोपाल, जागरण आनलाइन डेस्‍क। Navratri 2022: रायसेन रोड के पास स्थित कंकाली मंदिर (Maa Kankali Temple ) में भक्तों की अपार आस्था है। भोपाल (Bhopal) से इसकी दूरी लगभग 25 से 30 किमी. है। शारदीय नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। सुबह 4 बजे से मां कंकाली का श्रृंगार किया जाता है।

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    इस मंदिर की विशेषता ये है कि मां काली की मूर्ति की गर्दन 45 डिग्री तक झुकी हुई है। सुबह 6 बजे से मंदिर भक्‍तों के लिए खोल दिया जाता है। नवरात्र के दिनों में भोपाल, रायसेन, सीहोर, विदिशा समेत आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग मां कांकली के दर्शन के लिए मंदिर आ रहे हैं।

    नवरात्र में सीधी होती है मां काली की गर्दन

    आमतौर पर मंदिर में स्‍थापित मां कंकाली देवी की मूर्ति की गर्दन तिरछी होती है लेकिन नवरात्र के दौरान अचानक सीधी हो जाती है। इस चमत्कार को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त नवरात्र के दौरान मां की गर्दन को सीधा देखता है, उसके सभी काम पूरे हो जाते हैं।

    कंकाली माता के मंदिर का इतिहास

    माता का ये मंदिर रायसेन जिले के गुदावल गांव में स्थित है। देश की ये पहली ऐसी मूर्ति है जिनकी गर्दन 45 डिग्री तक झुकी हुई है। इस मंदिर की स्‍थापना 1731 के आस-पास हुई थी। ये मूर्ति खुदाई के दौरान मिली थी।

    हालांकि ये मंदिर अस्तित्‍व में कब आया इसका सही प्रमाण नहीं मिलता। वर्तमान में इस मंदिर का स्‍वरूप काफी भव्‍य हो चुका है। इस मंदिर के परिसर में धर्मशाला, गौशाला, संस्कृत विद्यालय की स्‍थापना भी की जा रही है।

    भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी विराजमान हैं

    ये काली मां का काफी पुराना मंदिर है। यहां मां कंकाली की 20 भुजाओं वाली इस मूर्ति के साथ यहां भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां भी विराजमान हैं। पूरे साल यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान यहां भक्‍तों की भीड़ देखी जाती है।

    हरे भरे जंगलों के बीच स्थित मंदिर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लोग मां काली के दर्शन के साथ-साथ हरियाली का भी लुत्फ उठाते हैं। बरसात के मौसम में पूरा इलाका हरा-भरा नजर आता है।

    मनोकामना पूर्ण होती है

    मंदिर के पुजारी भुवनेश शास्त्री के अनुसार नवरात्रि के दौरान और सामान्य दिनों में भी यहां आने वाले भक्त धागा बांधते हैं और मन्‍नत मांगते हैं। भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण होती है। भक्त मां काली के दरबार में अपनी मन्नत मांगने आते हैं।

    जब इच्छाएं पूरी होती हैं, तो वे भी बंधन खोलने आते हैं। ऐसा कहा जात है कि यहां आने वाले निःसंतान दंपतियों की गोद भर जाती है। महिलाएं यहां उल्टे हाथ से गाय का गोबर लगाती हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर दाहिने हाथ से चिन्ह बनाती हैं।

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