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    स्नान-पूजा कर खाना पकाने का दबाव बनाती थी सास, बहू पहुंच गई थाने... भोपाल में सास-बहू की तकरार का अनूठा मामला

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 03:10 PM (IST)

    भोपाल में एक उच्च शिक्षित बहू ने सास पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है, क्योंकि सास उसे स्नान और पूजा के बाद ही रसोई में जाने और भोजन पकाने के लिए द ...और पढ़ें

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    सास-बहू की तकरार (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारतीय परिवारों में धार्मिक और सामाजिक परंपराएं लंबे समय से पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं। इन्हीं परंपराओं के सहारे घर की दिनचर्या, खान-पान और आचरण तय होते रहे हैं लेकिन बदलते समय, शिक्षा और सोच के साथ अब यही परंपराएं कई घरों में टकराव की वजह बनती जा रही हैं। पिछले महीने राजधानी के महिला थाने में एक ऐसा ही मामला दर्ज किया गया है, जो बदलते सामाजिक परिदृश्य की तस्वीर पेश करता है।

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    यह है मामला

    एक उच्च शिक्षित बहू मालती (नाम परिवर्तित) ने महिला थाने में अपनी सास और पति के खलाफ मानसिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई है। उसकी एक साल पहले ए-क्लास अफसर से शादी हुई थी। उसका आरोप है कि सास उसे रोजाना स्नान और पूजा करने के बाद ही रसोई में जाने व भोजन पकाने का दबाव बनाती है। जबकि वह कामकाजी है और बदती जीवनशैली के अनुसार घर के काम करना चाहती है, लेकिन उस पर परंपराओं के नाम पर मानसिक दबाव डाला जा रहा है।

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    लगातार बढ़ रहे इस तरह के मामले

    महिला थाने और वन स्टाप सेंटर में दर्ज होने वाले पारिवारिक विवादों में लगातार ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है, जिनका संबंध घरेलू परंपराओं और जीवनशैली से है। शिकायतों में पूजा-पाठ, पहनावा, रसोई के नियम, कामकाज के तरीके और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर मतभेद प्रमुख कारण बनकर सामने आ रहे हैं। बदलती सोच और पारंपरिक अपेक्षाओं के बीच टकराव से उपजे ये विवाद अब मानसिक उत्पीड़न की शिकायतों का रूप ले रहे हैं।


    इस तरह के मामलों में दोनों पक्ष खुद को सही मानते हैं और एक-दूसरे की भावनाओं को समझने तैयार नहीं होते। घर-परिवार की परंपराओं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन जरूरी है। जब किसी पर उसकी इच्छा के विरुद्ध नियम थोपे जाते हैं, तो वह मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। वहीं बुजुर्गों को भी यह समझने की जरूरत है कि नई पीढ़ी की सोच अलग है।
    - रीता तुली, सीनियर काउंसलर

    ये मामला पिछले महीने दर्ज किया गया था। शिकयत के बाद दोनों पक्षों को तीन बार काउंसलिंग के लिए बुलाया, पर सहमति नहीं बन पाई। बहू का कहना है कि वह पढ़ी-लिखी और कामकाजी सोच वाली है और उस पर रोजमर्रा के नियम थोपना मानसिक दबाव जैसा है। वहीं सास का पक्ष है कि परंपरा का पालन अनुशासन का हिस्सा है, जिसे निभाना उसकी जिम्मेदारी है।
    - अंजना दुबे, महिला थाना प्रभारी, भोपाल