पाक में जमात-उल-अहरार के तीन आतंकियों को अदालत ने सुनाई फांसी और 300 साल कैद की सजा

साल 2014 में वाघा सीमा पर बम हमला करने के मामले में प्रतिबंधित जमात-उल-अहरार के तीन आतंकियों को मौत की सजा-ए-मौत के साथ ही 300 साल कैद की सजा भी सुनाई गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 05:59 PM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2020 07:06 PM (IST)
पाक में जमात-उल-अहरार के तीन आतंकियों को अदालत ने सुनाई फांसी और 300 साल कैद की सजा
पाक में जमात-उल-अहरार के तीन आतंकियों को अदालत ने सुनाई फांसी और 300 साल कैद की सजा

लाहौर, पीटीआइ। साल 2014 में वाघा सीमा पर बम हमला करने के मामले में पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधक अदालत ने बुधवार को प्रतिबंधित जमात-उल-अहरार के तीन आतंकियों को मौत की सजा-ए-मौत के साथ ही 300 साल कैद की सजा भी सुनाई है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद वाघा सीमा पर दो नवंबर 2014 को इस हमले में 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। यह एक आत्मघाती हमला था जिसमें महिलाओं और बच्चे भी मारे गए थे।

हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित संगठन जुंडुल्ला (Jundullah) और तहरीक-ए-तालिबान (Tehreek-i-Taliban) ने अलग-अलग ली थी। लाहौर की आतंकवाद निरोधक अदालत ने अपने फैसले में तीन संदिग्धों हसीबुल्लाह, सईद जन घना और हुसैनुल्लाह को पांच मामलों में मौत की सजा सुनाई। अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि दोषियों को 300 साल तक कैद की सजा भी सुनाई गई है। 

रिपोर्टों में कहा गया है कि विस्फोट में करीब 15 से 20 किलोग्राम विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। विस्‍फोटकों को हमलावरों ने अपने आत्‍मघाती जैकेटों में छिपा रखे थे। बता दें कि वाघा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लाहौर का एक गांव है जबकि अटारी भारत-पाक सीमा पर भारतीय क्षेत्र है जो पंजाब में पड़ता है। 

समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, दोषियों में से हर एक पर दस लाख पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि, तीन अन्य संदिग्धों को संदेह का लाभ मिला जिससे अदालत ने उन्‍हें बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से 100 से अधिक गवाहों की गवाही हुई। मामले में पांच वर्षों से अधिक समय तक सुनवाई हुई। संदिग्ध आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया। 

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