अमेरिका और भारत का तकनीक गठजोड़ बनाने की सिफारिश, राष्ट्रपति और संसद को सौंपी गई रिपोर्ट

यह समझौता एआइ के भविष्य को लेकर होगा जिसमें गठजोड़ में शामिल सभी देश मिलकर तकनीक के विकास में योगदान करेंगे और उसका इस्तेमाल करके क्षमताओं को बढ़ाएंगे। यह रिपोर्ट अमेरिकी संसद और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सौंपी गई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Wed, 14 Oct 2020 07:43 PM (IST) Updated:Wed, 14 Oct 2020 07:43 PM (IST)
अमेरिका और भारत का तकनीक गठजोड़ बनाने की सिफारिश, राष्ट्रपति और संसद को सौंपी गई रिपोर्ट
रिपोर्ट में तकनीक विकास के लिए गंठजोड़ बनाने पर खासतौर पर जोर दिया गया है।

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका भारत के साथ तकनीक गठजोड़ बना सकता है। इससे उसकी हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय रणनीति को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। यह बात अमेरिका के आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (AI) पर हाल ही में गठित स्वतंत्र आयोग ने कही है।

एआइ मामलों के लिए गठित नेशनल सिक्युरिटी कमीशन ने मंगलवार को दी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और वियतनाम से बात कर समझौते की रूपरेखा बनाएं। यह समझौता एआइ के भविष्य को लेकर होगा जिसमें गंठजोड़ में शामिल सभी देश मिलकर तकनीक के विकास में योगदान करेंगे और उसका इस्तेमाल करके क्षमताओं को बढ़ाएंगे। यह रिपोर्ट अमेरिकी संसद और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सौंपी गई है। रिपोर्ट में तकनीक विकास के लिए गंठजोड़ बनाने पर खासतौर पर जोर दिया गया है। इससे तकनीक को लेकर वैश्विक मुकाबला कर पाने में मदद मिलेगी। लोकतांत्रिक देशों के हितों की सुरक्षा हो पाएगी।

कमीशन की सिफारिशों में क्वाड (क्वाड्रिलेट्रल सिक्युरिटी डायलॉग) के सदस्य देशों-अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच खासतौर से यह तकनीक गंठजोड़ स्थापित करने की आश्यकता पर बल दिया गया है। क्वाड हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए गठित रणनीतिक गंठजोड़ है।

कमीशन ने कहा है कि कई देशों को मिलाकर और द्विपक्षीय आधार पर तकनीक सहयोग का तंत्र तैयार किया जाना चाहिए। कमीशन की सिफारिशों के अनुसार अमेरिका को पहले अपने नाटो के सहयोगी देशों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सहयोगियों को तकनीक सहयोग के लिए तैयार करना है। इसके बाद लोकतांत्रिक देशों को इससे जोड़ना है। इससे दुनिया के खुले एवं प्रगतिशील प्रयासों को साथ लाया जा सकेगा। इस सिलसिले में अमेरिका और भारत के बीच का सहयोग सर्वाधिक मायने रखेगा, क्योंकि दोनों दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हैं। इसी प्रकार से सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- अमेरिका और यूरोपीय यूनियन को तकनीक सहयोग के लिए साथ आना चाहिए। इस प्रकार से दुनिया की लोकतांत्रिक और आर्थिक ताकतों को साथ आकर चुनौतियों का सामना करना चाहिए।

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