गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन की सैन्य अड्डा बनाने की साजिश, इमरान खान दे रहे ये सफाई

अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ गिलगित-बाल्टिस्तान स्टडीज के निदेशक सेंग एच सेरिंग के अनुसार बांध का निर्माण हम चीन की हालिया लद्दाख में घुसपैठ से जोड़कर देख रहे।

By Tilak RajEdited By: Publish:Fri, 17 Jul 2020 10:29 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jul 2020 10:29 PM (IST)
गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन की सैन्य अड्डा बनाने की साजिश, इमरान खान दे रहे ये सफाई
गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन की सैन्य अड्डा बनाने की साजिश, इमरान खान दे रहे ये सफाई

वाशिंगटन, एएनआइ। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भले ही गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में चीन की सहायता से बन रहे डायमर भाशा बांध के निर्माण में चीनी सेना के सहयोग से इन्कार किया हो, लेकिन इलाके में प्रभाव रखने वाले लोगों का दावा इसके उलट है। क्षेत्रीय पहचान को बनाए रखने के लिए दशकों से संघर्षरत लोगों का कहना है कि इलाके में बन रहे बांध के कार्य में चीन की सेना भी लगी हुई है। उसका उद्देश्य गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में चीन का सैन्य अड्डा स्थापित करना है। यह इलाका पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर का हिस्सा है।

अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ गिलगित-बाल्टिस्तान स्टडीज के निदेशक सेंग एच सेरिंग के अनुसार बांध का निर्माण हम चीन की हालिया लद्दाख में घुसपैठ से जोड़कर देख रहे हैं। चीन की भारत के लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की जमीन पर कब्जे की योजना है।

गिलगित-बाल्टिस्तान में सैन्य अड्डा बनाकर वह भारत पर दबाव बनाना चाहता है। इस कार्य में उसे पाकिस्तान का पूरा सहयोग मिल रहा है। सेरिंग ने कहा, चीन जानता है कि गिलगित-बाल्टिस्तान इलाका कानूनी रूप से भारत का है। चीन जान-बूझकर उसे कब्जे में लेकर भारत पर दबाव बनाना चाहता है। इसी के लिए वह वहां पर व्यापक पैमाने पर आधारभूत सुविधाएं विकसित कर रहा है। वहां निर्माणाधीन बांध से 4,500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।

इस परियोजना के 2028 में पूरा होने की उम्मीद है। आधारभूत परियोजनाओं को विकसित करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने जिस चीनी कंपनी को 44,200 करोड़ रुपये का ठेका दिया है, वह चीन की सेना का हिस्सा है। चीन ने जैसा अक्साई चिन में किया, वैसा ही गिलगित बाल्टिस्तान में करना चाह रहा है। अक्साई चिन एक समय भारत का हिस्सा था लेकिन चीन ने उस पर कब्जा कर उसे अपना हिस्सा बना लिया और अब उसे विकसित करने का कार्य कर रह है।

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