पूरे मनोयोग से समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने में जुटा यह व्यक्ति
उधमसिंह नगर के रुद्रपुर में एक व्यक्ति पूरे मनोयोग से समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने में जुटे हैं। नौनिहालों के जीवन में रंग भरने के उनके ये प्रयास रंग भी लाने लगे हैं।
रुद्रपुर, [रजत श्रीवास्तव]: आधुनिक युग में जब शिक्षा व्यवसाय बन चुकी हो, गरीबों के लिए बच्चों को पढ़ाना तो दूर दो जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे कठिन दौर में प्रेम चंद्र चौहान पूरे मनोयोग से समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने में जुटे हैं। नौनिहालों के जीवन में रंग भरने के उनके ये प्रयास रंग भी लाने लगे हैं। मुकाम पर पहुंचे उनके पढ़ाए कई नौनिहाल इसके गवाह हैं।
मूलरूप से बागपत (उप्र) के रहने वाले चौहान ने अभावों से हार न मानते हुए एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की। पिता अमन सिंह किसान थे और घर की माली हालत भी ठीक नहीं थी। ऐसे में वह गांव से पांच किमी दूर स्थित प्राइमरी स्कूल तक पैदल ही दौड़ लगाते थे।
वर्ष 2000 तक उन्होंने हरियाणा के गुझारी स्थित डीपीएपी स्कूल में नौकरी की। वहां भी गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा समर्पित रहे। यहां से अवकाश ग्रहण करने के बाद भी गरीब बच्चों के लिए कुछ करने का जज्बा बरकरार रहा।
सौभाग्यवश इसी बीच उनका महाराज धर्मदेव के संपर्क हुआ, जो उन्हें रुद्रपुर के भूरारानी स्थित भंजूराम अमर इंटर कॉलेज में ले आए। यहां उन्होंने प्रधानाचार्य के पद पर रहते हुए धर्मपुर, छतरपुर, बिंदुखेड़ा आदि इलाकों में रहने वाले गरीब बच्चों के माता-पिता को शिक्षा का महत्व समझाया और बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए प्रेरित किया।
गरीब बच्चों को अपने विद्यालय में निश्शुल्क दाखिला दिलाकर उनके लिए विभिन्न संस्थाओं व ग्राम प्रधानों के सहयोग से शिक्षण सामग्री और ड्रेस की व्यवस्था की।
फिलहाल उनके विद्यालय में पढ़ने वाले ऐसे 300 बच्चों की पूरी मदद की जा रही है। इन बच्चों को आर्थिक संबल मिला तो उन्होंने सफलता की उड़ान भरना शुरू कर दिया। सिमरन कौर जो बचपन में गुरुद्वारा समेत अन्य स्थानों पर साफ-सफाई कर परिवार की गुजर करती थी, आज एसआइ बन चुकी हैं। जबकि, कई बच्चे स्नातक-स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं।
मेरा सपना है कि ज्यादा से ज्यादा बेटियां शिक्षित हों
रुद्रपुर (ऊधमसिंहनगर) भंजूराम अमर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रेम चंद्र चौहान का कहना है कि मेरा सपना है कि ज्यादा से ज्यादा बेटियां शिक्षित हों और बिना किसी सहारे के समाज में अपना स्थान बनाएं। इसके लिए सामाजिक संस्थाओं का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है।