महिला सभासद ने छिपाई सच्चाई, अब खतरे में पड़ी कुर्सी

नगर पालिका परिषद मसूरी की एक महिला सभासद पर पति के नाम दर्ज अतिक्रमण और निर्माण को चुनावी शपथ पत्र में छिपाने का आरोप है। इससे उनकी कुर्सी खतरे में पड़ गई।

By BhanuEdited By: Publish:Mon, 15 Apr 2019 09:31 AM (IST) Updated:Mon, 15 Apr 2019 09:31 AM (IST)
महिला सभासद ने छिपाई सच्चाई, अब खतरे में पड़ी कुर्सी
महिला सभासद ने छिपाई सच्चाई, अब खतरे में पड़ी कुर्सी

देहरादून, जेएनएन। नगर पालिका परिषद मसूरी की एक महिला सभासद पर पति के नाम दर्ज अतिक्रमण और निर्माण को चुनावी शपथ पत्र में छिपाने का आरोप है। इस प्रकरण पर हाईकोर्ट ने भी जिला निर्वाचन अधिकारी एवं मुख्य सचिव को 60 दिन के भीतर निस्तारण के आदेश दिए हैं। इस मामले एक प्रत्यावेदन कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को भी सौंपा गया है। 

नगर पालिका परिषद मसूरी के 2018 में हुए चुनाव में सभासद पद के लिए गीता कुमांई निवासी जिया सदन, कैमलबैक रोड, मसूरी ने भी नामांकन कराया था। आरोप है कि गीता ने जो शपथपत्र नामांकन के दौरान दिया, उसमें स्वयं के नाम किसी भी तरह का अतिक्रमण और अवैध निर्माण न होने का उल्लेख किया है। 

साथ ही शपथ पत्र में कहा कि जो वाद न्यायालय में पीपी एक्ट में विचाराधीन है, वह भरत सिंह कुमांई के नाम चल रहा है। अधिनियम में स्पष्ट है कि यदि सदस्य व परिवार के नाम नगर पालिका स्वामित्व या प्रबंधन की भूमि, भवन, सार्वजनिक सड़क, पटरी, नाली, नाला पर अतिक्रमण है तो ऐसे में प्रत्याशी अयोग्य घोषित हो सकता है। 

इस मामले में भी गीता कुमांई ने भरत सिंह ने नाम पीपी एक्ट में वाद की बात तो शपथपत्र में स्वीकारी, लेकिन भरत सिंह उनके पति हैं, इसका उल्लेख शपथ पत्र में नहीं किया है। 

इस मामले में हाईकोर्ट ने मसूरी निवासी केदार सिंह चौहान की याचिका पर भी 10 अप्रैल को सुनवाई कर निस्तारण के आदेश दिए। इसमें साफ उल्लेख किया गया कि यदि प्रकरण में नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 13-घ एवं 40 (ख) का उल्लंघन हुआ तो संबंधित सभासद को अपना पद गंवाना पड़ सकता है। 

इधर, सभासद गीता कुमांई का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश की उन्हें जानकारी नहीं है। उनके द्वारा जो शपथ पत्र दिया है, वह सही है। इस मामले में हर तरह की जांच के लिए तैयार हूं। 

झूठा शपथपत्र देना अपराध 

एसडीएम मसूरी गोपालराम के अनुसार, चुनाव में झूठा शपथपत्र देना अपराध है। नगर पालिका की भूमि पर कब्जा या फिर दंडित होने की दशा में प्रत्याशी अपात्र घोषित हो सकता है। मेरी हाल ही में मसूरी में तैनाती हुई है। इसलिए प्रकरण संज्ञान में नहीं है।

दून और ऋषिकेश में भी विवाद 

निकाय चुनाव में फर्जी दस्तावेजों से चुनाव लड़ने के दो मामले पहले ही सामने आ चुके हैं। नगर निगम देहरादून के डालनवाला और ऋषिकेश में भी दो महिला पार्षदों के दस्तावेज भी कूटरचित पाए गए। इन पर भी राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से फैसला लिया जाना है।

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