Vatsalya Yojna: कोरोनाकाल में उत्तराखंड के 2829 बच्चे हुए अनाथ, आंकड़ों पर एक नजर

Vatsalya Yojna उत्तराखंड के 2829 बच्चों ने माता- पिता को खोया है। यह मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत महिला कल्याण निदेशालय के पास उपलब्ध आंकड़ों में सामने आया है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना की यह सहायता अब तक राज्य के 1706 को मिलनी शुरू हो गई है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 05 Sep 2021 12:15 PM (IST) Updated:Sun, 05 Sep 2021 12:15 PM (IST)
Vatsalya Yojna: कोरोनाकाल में उत्तराखंड के 2829 बच्चे हुए अनाथ, आंकड़ों पर एक नजर
कोरोनाकाल में उत्तराखंड के 2829 बच्चे हुए अनाथ, आंकड़ों पर एक नजर।

जागरण संवाददाता, देहरादून। बीते वर्ष कोरोनाकाल से अब तक राज्य के 2829 बच्चों ने माता- पिता को खोया है। यह मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत महिला कल्याण निदेशालय के पास उपलब्ध आंकड़ों में सामने आया है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना की यह सहायता अब तक राज्य के 1706 को मिलनी शुरू हो गई है। पहले फेज में 1061, दूसरे में 356, तीसरे फेज में 149 व चौथे फेज में 140 बच्चे शामिल रहे। इनमें देहरादून जिले के सर्वाधिक 309 व चमोली के सबसे कम 28 बच्चे हैं।

कोरोनाकाल में माता-पिता को खोने वाले 21 वर्ष तक के बच्चों को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत 12वीं की शिक्षा मुफ्त देने व तीन हजार रुपये प्रतिमाह की धनराशि उनके खाते में देने का प्रविधान किया गया है। महिला कल्याण निदेशालय के अधीन इस योजना की बीते अगस्त में मुख्यमंत्री पुष्कर ङ्क्षसह धामी ने शुरुआत की थी। चार फेज में अब तक बच्चों का सत्यापन कर उन्हें सहायता पहुंचाई जा चुकी है। अबतक जिले भर से आए आवेदन के आधार पर जिला प्रशासन की ओर से सत्यापन के बाद बच्चों का चयन किया जा रहा है।

18 आयु से कम वाले 2610 बच्चे

महिला कल्याण निदेशालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 18 आयु से कम वाले 2610 जबकि 18 से 21 आयुवर्ग वाले 219 अनाथ बच्चे हैं।

एक नजर जिलेवार सूची पर

जिला, चिह्नित बच्चे, चयनित

अल्मोड़ा- 177, 70,

बागेश्वर-73, 58

चमोली-57,28

चंपावत-132,85

देहरादून-561, 309

हरिद्वार-256, 154

नैनीताल-310,270

पौड़ी-313, 121

रुद्रप्रयाग-103, 75

ऊधम सिंह नगर- 242, 141

टिहरी-348, 208

पिथौरागढ़-93,50

उत्तरकाशी- 164, 137

कुल-2829, 1706

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आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता भी कर रही सहयोग

महिला एवं बाल विकास के उप निदेशक एसके सिंह का कहना है कि इस योजना से कोई बच्चा छूट न जाए, इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता ग्राम व ब्लाक स्तर पर हर दिन रिपोर्ट जिला प्रशासन को उपलब्ध करवा रही हैं।

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