कल के जल पर आज मिल रही है तारीख पर तारीख, जानिए पूरा मामला

देहरादून जैसी राजधानी जहां पेयजल की 90 फीसद आपूर्ति भूजल पर ही निर्भर करती है वहां जल संरक्षण का प्रयास करना बेहद जरूरी है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Mon, 03 Feb 2020 05:38 PM (IST) Updated:Mon, 03 Feb 2020 08:35 PM (IST)
कल के जल पर आज मिल रही है तारीख पर तारीख, जानिए पूरा मामला
कल के जल पर आज मिल रही है तारीख पर तारीख, जानिए पूरा मामला

देहरादून, सुमन सेमवाल। हमारे सुरक्षित कल के लिए आज उपलब्ध जल का संरक्षण करना जरूरी है। देहरादून जैसी राजधानी जहां, पेयजल की 90 फीसद आपूर्ति भूजल पर ही निर्भर करती है, वहां यह प्रयास करना बेहद जरूरी है। जल संरक्षण तो दूर की बात हमारे अधिकारी उन अवैध बोरवेल के खिलाफ भी कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं, जो रात-दिन भूजल चूस रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि अधिकारियों को इनकी जानकारी नहीं है, बल्कि सूचना आयोग की पहल पर करवाई गई जांच में सितंबर में 652 अवैध बोरवेल स्पष्ट रूप से पकड़ में आ चुके हैं। 

पेयजल निगम ने ऐसे अवैध बोरवेल की सूची संबंधित उपजिलाधिकारियों को भेज दी थी। यहां से इनको झटपट नोटिस तो जारी कर दिए गए, मगर कार्रवाई के नाम पर राजस्व न्यायालयों में सिर्फ तारीख पर तारीख ही लग रही हैं। विभिन्न तहसीलों में अवैध बोरवेल के संबंध में पांच से लेकर 12 तारीखें लग चुकी हैं, मगर मजाल है कि इनका कुछ बिगड़ पाया हो। 

यह स्थिति तब है, जब एनजीटी ने एक साल पहले केंद्रीय भूजल बोर्ड को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि जो भी बड़े प्रतिष्ठान जैसे-होटल, आवासीय सोसायटी, व्यापारिक प्रतिष्ठान, शिक्षण संस्थान आदि भूजल का दोहन कर रहे हैं, उन्हें पहले एनओसी लेनी जरूरी है। इस मामले में बोर्ड उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जिम्मेवार ठहरा रहा है, तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यह कह रहा है कि उपजिलाधिकारियों को इस पर कार्रवाई करनी है। बोर्ड ने यह गैर-जिम्मेदाराना जवाब एनजीटी को भी भेजा है। हालांकि, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम कहते हैं कि किसी भी बड़ी परियोजना के संचालन से पहले उनसे जल/वायु आदि की सहमति लेना जरूरी है। 

अरबोरिया होम्स पर चुप्पी 

देहरादून निवासी ब्रिगेडियर सर्वेश डंगवाल (रिटा.) कुल्हान स्थित 96 फ्लैट्स वाली अरबोरिया लग्जरी होम्स रेजीडेंशियल वेलफेयर सोसायटी के अवैध रूप से भूजल के दोहन पर एनजीटी को शिकायत कर चुके हैं। इसके साथ ही वह केंद्रीय भूजल बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व उपजिलाधिकारी सदर देहरादून के पास भी इस प्रकरण को लेकर गए। एनजीटी के स्पष्ट आदेश के बाद भी केंद्र व राज्य के अधिकारी कार्रवाई से बच रहे हैं। यहां तक कि सोसायटी को नियमानुसार भूजल दोहन के लिए आवेदन करने के आदेश भी नहीं दिए जा रहे। 

पकड़ में आ चुके अवैध बोरवेल 

देहरादून शहर 

उत्तर जोन: 50 बोरवेल/ट्यूबवेल 

दक्षिण जोन: 14 बोरवेल/ट्यूबवेल 

शामिल प्रमुख इलाके: राजपुर रोड, चकराता रोड, अधोईवाला, सहारनपुर रोड, हरिद्वार रोहए देहराखास, बाईपास रोड, रायपुर, सहस्रधारा रोड, रेसकोर्स। 

देहरादून व उससे सटे क्षेत्र 

पित्थूवाला जोन: 99 बोरवेल/ट्यूबवेल 

प्रमुख इलाके: जीएमएस रोड, इंदिरा नगर, टर्नर रोड, सेवला कलां, बड़ोवाला, आइएसबीटी क्षेत्र, माजरा, पंडितवाड़ा 

दून के बाहरी इलाके 

विकासनगर/कासली: 98 बोरवेल/ट्यूबवेल 

प्रमुख इलाके: विकासनगर शहर, कालसी गेट, लïक्ष्मीपुर, जीवनगढ़ 

रायपुर क्षेत्र: 97 बोरवेल/ट्यूबवेल 

प्रमुख इलाके: जोगीवाला, राजीव नगर, सरस्वती विहार 

सहसपुर क्षेत्र: 66 बोरवेल/ट्यूबवेल 

प्रमुख इलाके: झाझरा, सुद्धौंवाला, कोल्हूपानी, बिधोली, सेलाकुई, पौंधा 

डोईवाला/दूधली क्षेत्र: 214 बोरवेल/ट्यूबवेल 

प्रमुख इलाके: दूधली, जौलीग्रांट, खट्टा पानी, बुल्लावाला, अठूरवाला-कंडल, फतेहपुर, शेरगढ़, माजरी ग्रांट, लाल तप्पड़, बड़कोट, भोगपुर, रानीपोखरी, छिद्दरवाला 

ऋषिकेश क्षेत्र: 07 बोरवेल/ट्यूबवेल 

प्रमुख इलाके: ऋषिकेश, श्यामपुर, मुनिकीरेती। 

यह भी पढ़ें: देहरादून में अवैध बोरवेल की अब खुलेंगी परतें, सूचना आयोग ने गठित की जांच समिति

यह हैं नियम, मगर पालन नहीं होता 

'कुमाऊं व गढ़वाल (संग्रह, संचय और वितरण) अधिनियम-1975 की धारा 06 में उल्लेखित प्रावधानों के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति उत्तर प्रदेश जल संभरण और सीवर अध्यादेश 1975' के अधीन परगनाधिकारी (उपजिलाधिकारी) की अनुमति के बिना किसी भी जल स्रोत से पानी नहीं निकाल सकेगा। इससे स्पष्ट है कि प्रशासन को ही अवैध बोरवेल पर कार्रवाई का अधिकार है। स्पष्ट नियम के बाद भी आज तक प्रशासन मौन साधे रहा। अब देखने वाली बात यह है कि सूचना आयोग के आदेश के बाद जांच में जो बात सामने आई है, उस पर क्या कार्रवाई की जाती है। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में केंद्रीय योजनाओं के 1521 करोड़ नहीं हुए हैं खर्च

इसलिए जरूरी है भूजल का अवैध दोहन रोकना 

केंद्रीय भूजल बोर्ड के अध्ययन के अनुसार जिन मैदानी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भूजल का दोहन किया जा रहा है, वहां भूजल स्तर सालाना 20 सेंटीमीटर की दर से नीचे सरक रहा है। भूजल के इस बढ़ते संकट को कम करने के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड पूर्व में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उद्योग विभाग को पत्र लिख चुका है। साथ ही संबंधित जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर भविष्य में भूजल संकट के खतरे के प्रति आगाह किया जा चुका है। 

यह भी पढ़ें: रिस्पना और बिंदाल नदी की सूरत संवारने का जिम्मा एनबीसीसी को

chat bot
आपका साथी