बरसात से लगी आग, सब्जियों के दाम चढ़े आकाश, जायके और जेब में संतुलन बनाने का करना पड़ रहा होमवर्क

बरसात ने सब्जियों की खेती को कितना क्षति पहुंचाया इसका अंदाजा बाजार में सब्जियों के दाम में लगी आग से लगाया जा सकता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 12 Oct 2019 07:26 PM (IST) Updated:Sun, 13 Oct 2019 08:00 AM (IST)
बरसात से लगी आग, सब्जियों के दाम चढ़े आकाश, जायके और जेब में संतुलन बनाने का करना पड़ रहा होमवर्क
बरसात से लगी आग, सब्जियों के दाम चढ़े आकाश, जायके और जेब में संतुलन बनाने का करना पड़ रहा होमवर्क

मऊ, जेएनएन। अधिक बरसात होने से जहां धान की खेती के उत्पादन के बेहतर होने की किसानों की उम्मीदों को पंख लगा है। वहीं बरसात से सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा है। बरसात ने सब्जियों की खेती को कितना क्षति पहुंचाया इसका अंदाजा बाजार में सब्जियों के दाम में लगी आग से लगाया जा सकता है। सब्जी खरीदने बाजार में जाने से पहले लोगों को अपनी जेब व जायके के बीच समझौता करने का होमवर्क करना पड़ रहा है। सब्जी मंडी में आने वाले हर व्यक्ति को अपने स्वाद को पीछे कर जेब में मौजूद पैसों के अनुरूप ही खरीदारी करना पड़ रहा है।

हर सब्जी विक्रेता ग्राहकों द्वारा सब्जियों के दाम में लगी बेतहाशा आग के बाबत पूछने पर बरसात को जिम्मेदार ठहरा दे रहे हैं। बाजार में व्यापारी भले बरसात के कारण सब्जी की खेती के नष्ट होने को उनके दाम में हुई बढ़ोतरी का कारण बता रहे है। वहीं खेती से बरबाद होने वाले किसानों का कही कोई जिक्र व पूछनहार नहीं है। बरसात से पहले सब्जियों के दाम में अचानक दो गुने से भी अधिक का उछाल होने से सब्जी खाना आम लोगों की पहुंच से काफी दूर हो गया है। आजमगढ़ मोड़ स्थित सब्जी मंडी में शुक्रवार की सुबह से अपराह्न तक गोभी 120 रुपये प्रति किलो, बोरो 110 रुपये, परवल 100 रुपये, मिर्च 80 रुपये, लहसुन 240 रुपये, बैगन 80 रुपये, भिंडी 60 रुपये, टमाटर 60 रुपया किलो के भाव बिका।

वहीं शाम होते ही इन्हीं सब्जियों की कीमत ग्राहकोंं की संख्या बढ़ते ही 10 से 15 रुपया प्रति किलो के हिसाब से बढ़ा कर दुकानदार बेचना शुरू कर देते हैं। पूरे बाजार में लोगों के भोजन की थाली की रौनक कोहड़ा 60 रुपये, भिंडी 60 रुपये व बैंगन 60 रुपये किलो के भरोसे ही बची हुई है। कटोरी की चटनी को बनाने में भी लोगों को जेब से 60 रुपये किलो टमाटर तो 80 रुपये किलो मिर्च की खरीद करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सब्जी मंडी में दुकानों पर हर तरह की सब्जियां तो भरपूर मौजूद है किंतु उनके दाम आसमान पर चमकते तारों की तरह महसूस होने लगा है।

लोगों का मानना है कि सब्जियां नहीं बिकने की दशा में सड़ जाती होगी, किंतु ऐसा नहीं है। सब्जियों के सडऩे का डर होता तो दुकानदार उसे खरीद मूल्य के आसपास किसी कीमत पर बेच कर अपना पैसा खाली कर लेता। सब्जियों को बेचने के लिए कीमतों से कोई समझौता नहीं करने से लोगों को उन्हें तरोताजा रखने के पीछे केमिकल के प्रयोग का अंदेशा होने लगा है। केमिकल के प्रयोग से संरक्षित सब्जियों का सेहत पर दुष्प्रभाव पडऩे की चिंता लोगों में होने लगी है।

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