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100 रुपये का पत्ता 500 डॉलर में बेचा… चार साल की कमाई में खरीद ली ऑडी-मर्सिडीज, तरीका जान पुलिस भी रह गई हैरान

डिप्टी एसपी के मुताबिक गिरोह के लोग 100 रुपये कीमत का नशीली दवाओं का पत्ता विदेश में बैठे लोगों को चार से पांच सौ डॉलर में बेचते थे। कुरियर से भेजते थे। गिरोह के कई सदस्य ऐसे हैं कि चार साल में उन्होंने ऑडी और मर्सिडीज जैसी गाड़ियां और महंगे फ्लैट तक खरीद डाले। तीनों को चिनहट टेल्को कंपनी के गेट के पास से पकड़ा है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Published: Fri, 24 May 2024 10:19 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2024 10:19 PM (IST)
लखनऊ: देश-विदेश में नशीली दवाओं की बिक्री के मामले में गिरफ्तार आरोपित । एसटीएफ

जागरण संवाददाता, लखनऊ। एसटीएफ ने शुक्रवार को नशीली और प्रतिबंधित दवाओं की देश और अमेरिका, कनाडा समेत अन्य देशों में में बैठे लोगों को बिक्री करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। 

तीनों को चिनहट टेल्को कंपनी के गेट के पास से पकड़ा है। गिरोह का सरगना दुबई में बैठकर बीते चार साल से नेटवर्क चला रहा है। एसटीएफ सरगना समेत गिरोह से जुड़े अन्य लोगों का ब्योरा खंगाल रही है।

कुरियर से विदेश भेजते थे दवाएं

डिप्टी एसपी एसटीएफ दीपक कुमार सिंह के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों में मदेयगंज डालीगंज इरादतनगर का साहिल मुखौटा उर्फ हैदर अली, सीतापुर रोड ब्रह्मनगर का अब्दुल्ला सुहैल उर्फ अंधा और नई बस्ती मदेयगंज का रहने वाला मो. एनफ उर्फ दानिश कालिया है।

तस्करों के पास से 13,500 नशीली प्रतिबंधित (ट्रामाडोल) गोलियां, एक स्कूटी, तीन मोबाइल और 3180 रुपये बरामद किए गए हैं। गिरोह के तीनों सदस्य कुरियर के माध्यम से प्रतिबंधित दवाओं को विदेश भेजते थे।

100 का पत्ता 500 डॉलर में बिक्री

डिप्टी एसपी के मुताबिक, गिरोह के लोग 100 रुपये कीमत का नशीली दवाओं का पत्ता विदेश में बैठे लोगों को चार से पांच सौ डॉलर में बेचते थे। कुरियर से भेजते थे। गिरोह के कई सदस्य ऐसे हैं कि चार साल में उन्होंने ऑडी और मर्सिडीज जैसी गाड़ियां और महंगे फ्लैट तक खरीद डाले।

जॉन, एल्विश और रॉबर्ट बनकर करते थे बात

इंस्पेक्टर हेमंत भूषण के मुताबिक, अब्दुल्ला सुहैल, मो. एनफ और गिरोह से जुड़े अन्य तस्कर एप के माध्यम से विदेशियों को मैसेज भेजते थे। वह अपना नाम जॉन, एल्विश और रॉबर्ट बताते थे, जिससे उन्हें विश्वास हो जाए। 

फिर टेक्सट नाउ, सेकेंड लाइन जैसे एप से इनके वर्चुअल नंबर पता कर इन ग्राहकों से सम्पर्क कर लेते थे। जरूरतमंदों से कैशी, वेनमो, पे पाल एप से भुगतान लेने के बाद नशीली दवाएं उन तक पहुंचा देते थे।

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