केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट बता रही है आखिर क्यों सुधर नहीं पा रही पतित पावन 'गंगा' की सेहत

आज जो गंगा की स्थिति बनी हुई है इसके लिए मशीनरी एवं मानव दोनों ही खुद जिम्मेदार है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 12:28 PM (IST) Updated:Mon, 09 Dec 2019 04:26 PM (IST)
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट बता रही है आखिर क्यों सुधर नहीं पा रही पतित पावन 'गंगा' की सेहत
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट बता रही है आखिर क्यों सुधर नहीं पा रही पतित पावन 'गंगा' की सेहत

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। आज जो गंगा की स्थिति बनी हुई है, इसके लिए मशीनरी एवं मानव दोनों ही खुद जिम्मेदार है। सीवेज अभी भी सीधे में बह रहा है, जिसके कारण तमाम प्रयासों के बाद भी गंगा की सेहत सुधर नहीं पा रही है। यही कारण है कि टोटल कोलीफार्म की मात्रा प्रति 100 एमएल 500 एमएनपी (मोस्ट प्रोबेबल नंबर) की जगह 38 हजार एमएनपी हो गई है। ऐसे में अगर सीवरेज व्यवस्था को सुधार दिया जाएं तो स्थिति पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। 

केंद्रीय जल आयोग की प्रयोगशाला गंगा के पानी की गुणवत्ता की जांच में पता चला है कि डीओ (घूलित आक्सीजन), पीएच (अम्लीय स्थिति) में काफी हद तक सुधार हुआ है। हालांकि बीओडी (बायो केमिकल आक्सीजन) की स्थिति में निराशा जरूरी लगी है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति टोटल कोलीफार्म की है, जो मानक से हजारों गुना अभी भी अधिक है। यह समस्या लोगों के घरों से सीधे नदी में जाने वाले मलजल एवं बेतहासा बढ़ रही जनसंख्या के कारण बनी हुई है। 

किसी भी जलाशय के स्वास्थ्य की स्थिति उसमें उपस्थित डीओ यानी घुलित आक्सीजन की मात्रा से निर्धारित होती है। विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण प्रदूषकों की मात्र जलाशयों में पहुंच रही है, जो डीओ की मात्र को प्रभावित करती है। वहीं बीओडी वह आक्सीजन है जिसकी नदी में जरूरत होती है। वहीं पीएच यह बताता है कि पानी कितना अम्लीय है, जो क्षारीय होना चाहिए। वहीं टोटल कोलीफार्म घातक बैक्टीरिया की मात्रा को बताता हैं, जो सीवेज या मानवीय कारणों से बढ़ते हैं। 

नदी में बह रहा 100 एमएलडी सीवेज 

शहर से प्रतिदिन करीब 360 एमएलडी सीवेज निकलता है। गंगा प्रदूषण ईकाई का दावा है कि सभी सीवेज को ट्रीट कर दिया जाता है। वहीं प्रदूषण नियंत्रण ईकाई से ही जांच में पाया है कि करीब 100 एमएलडी सीवेज सीधे नदी में बहता है। 

बोले अधिकारी 

गंगा की सेहत को सुधारने के लिए जरूरी है कि लोगों में जागरूकता बढ़े और गंगा स्वच्छता अभियान को और मजबूती के साथ तेज किया जाए। अगर गंगा में सीवेज के बहाव को पूरी तरह रोक दिया जाएं तो जल की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है। वैसे नमामि गंगा परियोजना से काफी सुधार आया है। - रवींद्र सिंह, अधीक्षण अभियंता, जल विज्ञानीय प्रेक्षण परिमंडल (केंद्रीय जल आयोग)।

बोले विशेषज्ञ

गंगा की सेहत को सुधारने के लिए जरूरी है कि नदी के किनारे छोटे-छोटे ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएं। नदी किनारे घरों से सीवेज को लिफ्ट कर सोधन के लिए दूर ले जाना पूरी तरह संभव नहीं है। इसके लिए एक प्रस्ताव भी बनाकर संबंधित विभाग को भेजा गया है। - प्रो. प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, आइआइटी, बीएचयू

अक्टूबर माह में प्रदूषण की वर्षवार स्थिति 

डीओ का मानक प्रति लीटर कम से कम 5.0 मिग्रा

2016  2017 2018 2019 
 6.9  7.1 7.2  7.3

बीओडी का मानक प्रति लीटर अधिकतम 3.0 मिग्रा

2016 2017 2018 2019 
1.9 2.5 2.4  3.4

गंगा में पीएच का मानक 6.5 से 8.5 के बीच

2016 2017 2018 2019 
7.6  7.9 8.0 7.8
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