वायु प्रदूषण का हाल : तीसरे दिन सुधरी वाराणसी में हवा की सेहत, एक्यूआइ घटकर पहुंचा 180 तक
सीजन के सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद तीसरे दिन मंगलवार की शाम एक्यूआइ के स्तर में काफी कमी आई।
वाराणसी, जेएनएन। सीजन के सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद तीसरे दिन मंगलवार की शाम एक्यूआइ के स्तर में काफी कमी आई। रविवार की शाम जहां यह 774 और सोमवार की शाम 457 दर्ज किया गया, वहीं मंगलवार रात नौ बजे यह 180 पर रहा। पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान, बीएचयू के डा. राजीव प्रताप सिंह के मुताबिक जब वायुमंडल में अचानक ठंड बढ़ती है तो नीचे की गर्म हवा ऊपर नहीं जा पाती। ऐसे में प्रदूषक तत्वों का निस्तारण नहीं हो पाता।
पीएम-2.5, पीएम-10 सहित अन्य प्रदूषक तत्व सतह पर ही घूमते रहते हैं, जिनमें हम सांस लेते हैं। यह मानव स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक स्थिति होती है। मंगलवार को तापमान में थोड़ी वृद्धि हुई, सूरज भी निकला और हवा भी चली। वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में तापमान की महत्वपूर्ण भूमिका है। ताप बढऩे पर हवा गर्म होकर ऊपर की ओर उठती है। अपने साथ प्रदूषक तत्वों का भी ले जाती है। यही वजह है मंगलवार को हवा की सेहत में सुधार देखने को मिला। हालांकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 306 रहा।
मानव संग फसलें भी होती हैं प्रदूषण से प्रभावित
भारत में प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार कारक डस्ट पार्टिकल व खुले में कई हानिकारक तत्वों को जलाना है, जबकि चीन में डस्ट पार्टिकल की समस्या को अब खत्म कर लिया गया है, जिससे चीन की हवा में काफी सुधार हुआ है। ये बातें बीएचयू में आयोजित पांचवें एशियाई वायु प्रदूषण कार्यशाला में प्रो. झाओजॉन्ग फेंग ने कही। प्रो फेंग चीन के नानजिंग सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से हैं। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य के साथ ही गेहूं, चावल और सोयाबीन जैसे फसलों पर भी काफी बुरा असर होता है। इससे पहले राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, अहमदाबाद के प्रो श्याम लाल ने भारत की बिगड़ती वायु की गुणवत्ता पर चर्चा करते हुए ग्रीनहाउस गैसों की प्रवृत्ति को समझाया तथा इसके नियंत्रण के लिए नीति निर्माण को जरूरी बताया। उद्घाटन समारोह में विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि चीन और जापान के कई शहरों में अत्यधिक सघन जनसंख्या के बावजूद वायु गुणवत्ता ठीक है, जिससे हम काफी कुछ सीख सकते हैं।
कल से शुरू हुई यह कार्यशाला 7 नवंबर चलेगी। इसका आयोजन बीएचयू के इंटरडिसिप्लिनरी स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज में वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा किया गया है। इस कार्यशाला में चीन व जापान के कई डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया। इस दौरान टोक्यो विश्वविद्यालय के प्रो काजुहिको कोबायाशी ने कहा कि वायु प्रदूषण से निबटने के लिए एशिया में विशेषज्ञों और उपायों का एक नेटवर्क तैयार किया जाना चाहिए।
कार्यशाला के दौरान पहले सत्र की अध्यक्षता चीन के डॉ होए तांग ने व संयोजन डॉ तीर्थंकर बनर्जी ने किया। जबकि मेजबानी संयोजक प्रो मधुलिका अग्रवाल, स्वागत प्रो आर.एस. उपाध्याय व धन्यवाद ज्ञापन सचिव प्रो एस बी अग्रवाल ने किया।
एयर क्वालिटी इंडेक्स
आज का अनुमान 195 खराब
मंगलवार 306 बेहद खराब
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0-50 सामान्य
51-100 मध्यम
101-200 खराब
201 से अधिक बेहद खराब
नोट : पर्टिकुलेट मैटर (पीएम-प्रदूषक तत्व) माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर में। सामान्य स्तर 50 निर्धारित है।